Jammu & Kashmir

शिवसेना हिंदुस्तान ने जम्मू-कश्मीर में धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून की वकालत की

शिवसेना हिंदुस्तान ने जम्मू-कश्मीर में धर्मांतरण विरोधी सख्त कानून की वकालत की

जम्मू, 21 दिसंबर (Udaipur Kiran) । गरीबी और अशिक्षा का इस्तेमाल धर्मांतरण के लिए हथियार के तौर पर किया जा रहा है। यह दावा शिवसेना हिंदुस्तान जम्मू-कश्मीर के अध्यक्ष पंडित राजेश केसरी ने शनिवार को धर्मांतरण रोकने के लिए सख्त कानून की वकालत की। उन्होंने कहा कि गरीब, बीमार और असहाय महिलाओं को ईसाई धर्म अपनाने के लिए धोखा दिए जाने के कई मामले सामने आए हैं।

उन्होंने कहा भोजन, कपड़ा और मकान हर किसी की बुनियादी जरूरत है, स्वास्थ्य और शिक्षा भी। आम आदमी की इन जरूरतों को पूरा करना राजनेताओं का कर्तव्य है। चूंकि ये जरूरतें पूरी नहीं की जा रही हैं। इसलिए लोगों को धर्म बदलने के लिए प्रलोभन दिया जा रहा है।

केसरी ने दावा किया कि आरएस पुरा के कुतुमजम गांव के एक घर में कई लोगों की मौजूदगी में ईसाई धर्म में धर्मांतरण की गतिविधियां चल रही थीं। जब शिवसेना हिंदुस्तान को इस बारे में पता चला तो उन्होंने धर्म परिवर्तन का कड़ा विरोध किया और पुलिस को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंचकर उन्होंने देखा कि कुछ लोग गरीब परिवारों पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है जहां बहुसंख्यक धार्मिक समूह को अल्पसंख्यक धर्म में परिवर्तित होने का बड़ा खतरा है। भारत में हिंदुओं का ईसाई और इस्लाम में खतरनाक दर से धर्मांतरण किया जा रहा है फिर भी यह मुद्दा मीडिया में लगभग अदृश्य रहता है। हिंदुओं के जबरन या धोखे से धर्मांतरण के प्रति इस उदासीनता का पता कई कारकों से लगाया जा सकता है।

केसरी ने कहा कई सालों से हिंदू वकालत करने वाले समूह और स्वतंत्र कार्यकर्ता देश भर में धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग कर रहे हैं। हालांकि कई भारतीय राज्यों- जैसे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़- में जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून हैं लेकिन इन कानूनों का अक्सर कम इस्तेमाल किया जाता है और लोगों में इसके बारे में बहुत कम जागरूकता है।

(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा

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