श्योपुर, 27 जुलाई (Udaipur Kiran) ।
शनिवार को हुई झमाझम बारिश कहीं खुशी तो कहीं परेशानी लेकर आई। एक घंटे तक हुई तेत बारिश ने बड़ौदा नगर को दोबारा से टापू में परिवर्तित कर दिया। जिससे जनजीवन प्रभावित दिखा। पार्वती नदी उफनने से श्योपुर-कोटा मार्ग बंद हो गया है। इस बारिश ने किसानों के चेहरे खिलाने का काम किया है। विगत कुछ दिनों से बिजली-पानी के अभाव में परेशान हो रहे किसानों के लिए यह बारिश अमृत बनकर बरसी। इस बारिश का असर पूरे जिले में देखने को मिला है। इस समय खेतों में रोपी गई धान की फसल को पानी की जरूरत है लेकिन बिजली की कमी के चलते सिंचाई नहीं हो पा रही थी। इस कारण कई जगह बिजली कंपनी के खिलाफ किसानों द्वारा आंदोलन की सूचना मिल रही थी। शनिवार को हुई झमाझम बारिश ने किसानों के साथ-साथ बिजली कंपनी के अधिकारियों को भी राहत देने का काम किया है। झमाझम बारिश के बाद बिजली आपूर्ति की मांग में कमी आई है।
बड़ौदा बना टापू, जिम्मेदारी किसकी: वैसे तो बड़ौदा के आसपास कोई नदी नहीं है। अहेली नदी और पार्वती नदियां नगर से इतनी दूर हैं कि उनमें पानी अधिक आने पर नगर में बाढ़ का खतरा नहीं रहता है। इसके बावजूद हर साल बारिश के समय बड़ौदावासियों को बाढ़ जैसे हालातों का सामना करना पड़ता ही है। हर बार नगर परिषद दावे करते हुए बाढ़ पर नियंत्रण की बात कहती है लेकिन बाढ़ के हालात नगर परिषद के कारण ही निर्मित होते हैं। यह कहने वाले भी कम नहीं हैं। लोगों का कहना है कि वर्षाकाल से पूर्व नालों की सफाई ठीक से नहीं करने और पानी की निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने से बड़ौदा में जल भराव की स्थिति निर्मित होती है।
उफनी पार्वती नदी, टूटा कोटा से संपर्क: मालवा अंचल में हुई बारिश का असर पार्वती नदी में देखने को मिल रहा है। जलालपुरा-खातौली के बीच पार्वती नदी पर बना पुल डूब गया है। पुल पानी में डूब जाने के कारण श्योपुर-कोटा मार्ग दिनभर बंद रहा। हालांकि इस समस्या के निराकरण के लिए पास में ही एक और नए पुल का निर्माण किया है लेकिन उस पर काम पूरा नहीं होने के कारण वाहनों का आवागमन शुरू नहीं किया गया है। आवागमन के लिए फिलहाल बंद रखे गए इस पुल से पैदल यात्रियों ने आवाजाही खूब की। यात्री बसों से आने-जाने वालों ने बसों से उतरने के बाद पुल को पैदल पार कर आगे की यात्रा की।
रतजगा करते हैं निचली बस्तियों में रहने वाले: 3 अगस्त 2021 को आई सदी की भीषणतम बाढ़ का भय लोगों अब तक किस बना हुआ है। यह निचली बस्तियों में देखने को मिलता है। जब भी रात में बारिश होती है तो इस क्षेत्र के लोग सोने की बजाय रातभर जागते हैं और नदी किनारे पहुंचकर पानी का उतार-चढ़ाव नापते रहते हैं। लोगों को डर रहता है कि कहीं रात में बाढ़ ने आ जाए और वह पहले की तरह फिर बाढ़ में न फंस जाए। गुलाबबाड़ी, भैंसपाड़ा, गिर्राज घाट, रेगर मोहल्ला, वार्ड नंबर-2 हरिजन बस्ती आदि ऐसे क्षेत्र हैं। जहां हमेशा जल भराव का डर बना रहता है।
(Udaipur Kiran) / शरद शर्मा / राजू विश्वकर्मा