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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद बोले- धर्म और संस्कारों का पूरक है उत्तराखंड, केदारनाथ को न बनाएं राजनीति का विषय 

प्रेसवार्ता करते शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती।

– केदारनाथ धाम, चारधाम यात्रा और लैंड जिहाद समेत कई मुद्दों पर दिया बयान

– गो हत्या रोकने व गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने का दोहराया संकल्प

देहरादून, 18 नवंबर (Udaipur Kiran) । ज्योतिर्मठ शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने 20 नवंबर को केदारनाथ विधानसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव पर बयान देकर माहौल गरमा दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड धर्म और संस्कारों का पूरक है। केदारनाथ धाम किसी के राजनीतिक हार-जीत का विषय नहीं है बल्कि यह आत्म शांति का विषय है। केदारनाथ धाम का इस्तेमाल अगर राजनीतिक हितों को साधने में किया जाता है तो यह हाथी से हल जुतवाने जैसा काम है।

सोमवार को आयोजित धर्म सभा में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने केदारनाथ धाम, चारधाम यात्रा और लैंड जिहाद समेत कई मुद्दों पर बयान दिया। साथ ही गो हत्या रोकने व गाय को राष्ट्र माता का दर्जा दिलाने का संकल्प दोहराया।

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने देश के तमाम धार्मिक और सामाजिक विषयों पर बेबाक तरीके से अपनी बात रखी। साथ ही कई विवादित विषयों पर भी खुलकर बोले। शंकराचार्य ने कहा कि उत्तराखंड हमारे धर्म और संस्कारों का पूरक है। जब भी सनातनी धर्म या फिर संस्कार के बारे में सोचता है तो वो उत्तराखंड चला आता है। ऐसे में उत्तराखंड की अबोहवा और देवत्व को बनाए रखना धार्मिक रूप से उनकी जिम्मेदारी है तो वहीं राजनीतिक रूप से भी सरकारों की जिम्मेदारी बनती है।

16 दिसंबर से शुरू होगी शीतकालीन यात्रा, भ्रम दूर करना है यात्रा का उद्देश्य

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि आगामी 16 दिसंबर से वे शीतकालीन यात्रा शुरु करने जा रहे हैं। वे दूसरी बार शीतकालीन यात्रा करेंगे। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य ये है कि लोगों में इस भ्रांति को खत्म करना है कि कपाट बंद होने के बाद यात्रा या फिर दर्शन नहीं किया जा सकता है। कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन स्थल पर भगवन के दर्शन किए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि शीतकालीन के लिए केवल कपाट बंद होते हैं, लेकिन डोली दूसरी जगह पर जाती है, वहां पर उनकी पूजा अर्चना की जाती है और आशीर्वाद लिया जाता है। ग्रीष्मकालीन स्थल पर दर्शन मौसम की वजह से रोक दिए जाते हैं। उनका सभी सनातन धर्मियों से अपील है कि वो इस भ्रांति में ना आए कि केवल गर्मियों में ही भगवान के दर्शन किए जा सकते हैं।

शंकराचार्य ने सोना विवाद पर रखी अपनी बात

केदारनाथ धाम में सोना विवाद को लेकर शंकराचार्य ने कहा कि उन्होंने तमाम अखबारों और मीडिया रिपोर्टिंग के आधार पर सोना चोरी होने की बात कही थी। इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री की ओर से कहा गया था कि वो जांच करवा रहे हैं, उस जांच में क्या कुछ रहा, उसका आज तक किसी को पता नहीं लग पाया है। यदि सरकार या फिर बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति अपनी जगह सही है तो उन्हें इस पर स्पष्टीकरण देना चाहिए।

गौ हत्या रोकने के लिए की रणवीर संहिता की वकालत

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बद्रीनाथ धाम कपाट बंद होने के पश्चात देहरादून पहुंच प्रवचन किया। इस दौरान उन्होंने जम्मू कश्मीर से हटाई अनुच्छेद 370 के संबंध में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि जब तक अनुच्छेद 370 थी, तब तक रणवीर संहिता वहां लगती थी जिसमें गौ हत्या को निषेध माना गया था। इसके लिए कड़े प्रावधान किए गए थे। उन्होंने कहा कि यदि वे प्रावधान भारतीय न्याय संहिता में भी समाहित किए जाए, तभी इसकी सार्थकता होगी।

(Udaipur Kiran) / कमलेश्वर शरण

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