Jharkhand

कस्तूरबा इंटर महिला कॉलेज से हटे शंकर चौधरी, डीईओ बनाई गई सचिव

फाइल फोटो

पूर्व विधायक नहीं करते थे अनुदान की राशि वितरित, होता रहता था बवाल

रामगढ़, 10 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । रामगढ़ शहर के कस्तूरबा इंटर महिला कॉलेज में राजनीति पर पूर्ण विराम लग गया है। यहां शासी निकाय सचिव के पद से पूर्व विधायक शंकर चौधरी को हटाकर जिला शिक्षा पदाधिकारी को पूर्ण शासी निकाय सचिव घोषित कर दिया गया है। यह निर्णय झारखंड अधिविध परिषद के सचिव जयंत कुमार मिश्रा के पत्र के आधार पर लिया गया है। गुरुवार को डीसी चंदन कुमार ने इस मामले की जानकारी दी है। प्रशासन के इस निर्णय के बाद कस्तूरबा इंटर महिला कॉलेज में लगातार चल रहा विवाद और आंदोलन को खत्म हो जाएगा।

20 महीने से नहीं मिला था शिक्षकों और कर्मियों को वेतन

कस्तूरबा इंटर महिला महाविद्यालय के प्रबंधन एवं प्रशासन के लिए पूर्ण शासी निकाय का गठन किया गया था। परंतु उक्त महाविद्यालय के सचिव शंकर चौधरी के संबंध में पूर्व से ही कोई शिकायतें की जा रही थी। महाविद्यालय में कार्यरत शिक्षक व कर्मियों को अनुदान की राशि एवं वेतन की चेक में हस्ताक्षर नहीं करने के कारण आए दिन मीडिया अथवा सोशल मीडिया में महाविद्यालय में तालाबंदी संबंधी समाचार प्रकाशित की जा रही है। साथ ही यह भी सूचना प्राप्त हुआ है कि महाविद्यालय के शिक्षक व कर्मियों का 20 महीने से वेतन भुगतान नहीं किया गया है। ना ही वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्राप्त अनुदान की राशि का वितरण किया गया है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि महाविद्यालय के सचिव अपने दायित्व का निर्वहन करने तथा महाविद्यालय के सफल संचालन में असफल हैं। जिस पर सचिव झारखंड अधिविध परिषद जयंत कुमार मिश्रा जिला शिक्षा पदाधिकारी को पत्र लिखकर पूर्ण शासी निकाय का सचिव नियुक्त किया गया। ऐसी स्थिति में महाविद्यालय के शिक्षक-कर्मियों के वेतन आदि एवं अन्य कार्यों के निष्पादन हेतु तात्कालिक व्यवस्था के तहत जिला शिक्षा पदाधिकारी कुमारी नीलम को पदभार सौंपा गया है। साथ ही संबंधित इंटर महिला महाविद्यालय के तात्कालिक व्यवस्था तब तक प्रभावी रहेगा जब तक कि विधिवत रूप से नए सचिव का चयन शासी निकाय द्वारा नहीं कर लिया जाता।

तत्काल प्रभार लेकर समस्या का निदान करें डीईओ

जिला शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश है कि वह अभिलंब कस्तूरबा इंटर महिला महाविद्यालय रामगढ़ के सचिव का पद ग्रहण कर शासी निकाय की बैठक आयोजित करें। साथ ही महाविद्यालय के कार्यों का सुचारू रूप से निष्पादन सुनिश्चित करें। इसके अलावा भुगतान, शिक्षा व्यवस्था इत्यादि सभी समस्याओं का स्थाई समाधान निकाले।

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(Udaipur Kiran) / अमितेश प्रकाश

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