नई दिल्ली, 4 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । दिल्ली हाई कोर्ट को आज शाही ईदगाह प्रबंधन कमेटी की तरफ से बताया गया कि ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति स्थापित की जा चुकी है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि अल्पसंख्यक आयोग ने अपने प्रस्ताव में मूर्ति लगाने के लिए दो जगह चुनी थी जिसे कभी चुनौती नहीं दी गई और अचानक मूर्ति लगाने की जगह बदल कर शाही ईदगाह पार्क कर दिया गया। हाई कोर्ट ने ईदगाह प्रबंधन कमेटी को अपने तीन प्रतिनिधि 5 अक्टूबर को ईदगाह पार्क भेज कर देखने को कहा कि क्या झांसी की रानी की मूर्ति स्थापित करने का कोई वैकल्पिक स्थान हो सकता है। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
सुनवाई के दौरान दिल्ली नगर निगम ने बताया कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति को स्थापित किया जा चुका है। उसे तीन तरफ से कवर किया जाएगा। यह मूर्ति ईदगाह की दीवार से दो सौ मीटर की दूरी पर लगाई गई है। दिल्ली नगर निगम ने अल्पसंख्यक आयोग के प्रस्ताव पर कहा कि जिस प्रस्ताव की बात की जा रही है उसको पहले ही वापस ले लिया गया था।
सुनवाई के दौरान डीडीए ने कहा कि हम सबकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं इसलिए मूर्ति को पार्क के कोने में स्थापित किया गया है और उस मूर्ति के चारों तरफ दीवार भी है। हालांकि हाई कोर्ट ने ईदगाह प्रबंधन कमेटी को निर्देश दिया कि आप अपने तीन प्रतिनिधि 5 अक्टूबर को शाही ईदगाह पार्क भेजिए और बताइए कि क्या कोई जगह पर झांसी की रानी की प्रतिमा स्थापित की जा सकती है। मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी।
इसके पहले हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने ईदगाह पार्क में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की मूर्ति लगाने की इजाजत देने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के सिंगल जज के फैसले को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ता को फटकार लगाई थी। चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि हम महिला सशक्तीकरण की बात करते हैं और आप एक महिला सेनानी की मूर्ति लगाने पर आपत्ति जता रहे हैं।
हाई कोर्ट ने कहा था कि रानी लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय हीरो हैं उसको धार्मिक रूप नहीं देना चाहिए, वो सभी धार्मिक सीमाओं के परे राष्ट्रीय हीरो हैं, आप इसको धार्मिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। डिवीजन बेंच ने कहा था कि याचिकाकर्ता सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं और वे कोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है। सिंगल बेंच ने जो कहा है उसे पढ़िए। आप माफी मांगिए।
याचिका शाही ईदगाह प्रबंधन कमेटी ने दायर की है। याचिका में कहा गया था कि शाही ईदगाह की जमीन पर अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए क्योंकि ये एक वक्फ संपत्ति है। याचिका में 1970 के गजट नोटिफिकेशन का जिक्र किया गया था जिसमें शाही ईदगाह पार्क को प्राचीन संपत्ति बताया गया था जो मुगलकाल में बनी थी और वहां नमाज अदा की जाती है। सिंगल बेंच ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि ईदगाह की बाउंड्री के चारों ओर का खुला इलाका और ईदगाह पार्क डीडीए की संपत्ति है।
(Udaipur Kiran) /संजय
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