सोनभद्र,18 जनवरी (Udaipur Kiran) । साढ़े सात वर्ष पूर्व 13 साल के नाबालिग बालक के साथ हुए अप्राकृतिक कुकर्म के मामले में अपर सत्र न्यायाधीश (विशेष) न्यायाधीश पाक्सो एक्ट अमित वीर सिंह की अदालत ने शनिवार को सुनवाई की। कोर्ट ने आरोपित को दोषसिद्ध ठहराते हुए दोषी मनोज को सात वर्ष की सजा सुनाई है। उस पर 22 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अर्थदंड की धनराशि में से 15 हजार रुपये पीड़ित को मिलेगी।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, ओबरा थाना क्षेत्र के एक कॉलोनी निवासी पीड़ित की मां ने पांच अगस्त 2017 को ओबरा थाने में तहरीर दी। उन्होंने बताया कि चार अगस्त 2017 को 12:15 बजे दोपहर में जब बाहर से काम करके घर आयी तो रॉबर्ट्सगंज कोतवाली क्षेत्र के मानपुर गांव निवासी मनोज हालपता ओबरा कॉलोनी उसके घर में घुसकर उसके 13 वर्षीय नाबालिग बेटे के साथ अप्राकृतिक कुकर्म कर रहा था।
उसने यह देखकर शोरगुल किया तो आरोपित उसे गाली देते हुए उसे मारने पीटने लगा। शोरगुल की आवाज सुनकर कई लोग आ गए तो वह भाग गया। पीड़ित की तहरीर पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू कर दिया। विवेचक ने पर्याप्त सबूत मिलने पर कोर्ट में अप्राकृतिक कुकर्म और पाक्सो एक्ट में चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्कों को सुनने, सात गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी मनोज को सात वर्ष का कारावास एवं 22 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर तीन माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की तरफ से सरकारी वकील दिनेश प्रसाद अग्रहरि, सत्य प्रकाश त्रिपाठी एवं नीरज कुमार सिंह ने बहस की।
(Udaipur Kiran) / पीयूष त्रिपाठी