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वरिष्ठ नागरिक अतीत से जुड़ने की कड़ी और भविष्य के मार्गदर्शक होते हैं : राष्ट्रपति

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को वरिष्ठ नागरिक कल्याण पोर्टल का उद्घाटन करते हुए

नई दिल्ली, 2 मई (Udaipur Kiran) । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने शुक्रवार को कहा कि वरिष्ठ नागरिक अतीत से जुड़ने की कड़ी होते हैं और भविष्य के मार्गदर्शक भी होते हैं। हमें उनके मार्गदर्शन को महत्व देना चाहिए और उनकी मूल्यवान संगति का आनंद लेना चाहिए।

राष्ट्रपति मुर्मु ने राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र में वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए पहल ‘एजिंग विद डिग्निटी’ नामक कार्यक्रम में भाग लिया। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिक कल्याण पोर्टल का शुभारंभ, वरिष्ठ नागरिक गृहों का वर्चुअल उद्घाटन, सहायक उपकरणों का वितरण के साथ ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग तथा ब्रह्माकुमारीज संगठन के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। वरिष्ठ नागरिक कल्याण पोर्टल वरिष्ठ नागरिकों के लिए वन-स्टेप डिजिटल प्लेटफार्म के रूप में काम करेगा।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि वरिष्ठ नागरिक अतीत से जुड़ने की कड़ी हैं और भविष्य के मार्गदर्शक भी होते हैं। एक राष्ट्र के रूप में यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि हमारे वरिष्ठ नागरिक वृद्धावस्था का समय सम्मान और सक्रियता के साथ बिताएं। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सरकार विभिन्न पहलों के माध्यम से वरिष्ठ नागरिकों को सशक्त बना रही है ताकि वे जीवन के सभी पहलुओं में सक्रिय रूप से भाग ले सकें। उन्होंने सभी नागरिकों से बुजुर्गों की खुशी और कल्याण के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने, उनके मार्गदर्शन को महत्व देने और उनकी बहुमूल्य संगति का आनंद लेने का आग्रह किया।

उन्होंने कहा कि माता-पिता और बड़ों का सम्मान करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। आमतौर पर परिवारों में देखा जाता है कि बच्चे अपने दादा-दादी और नाना-नानी के साथ बहुत खुश रहते हैं। बुजुर्ग परिवार के लिए भावनात्मक स्तंभ के रूप में काम करते हैं। बुजुर्ग जब अपने परिवार को फलता-फूलता देखते हैं तो उनका शरीर और मन स्वस्थ रहता है।

राष्ट्रपति ने कहा कि आज की प्रतिस्पर्धात्मक और भागदौड़ भरी जिंदगी में हमारी युवा पीढ़ी के लिए वरिष्ठ नागरिकों का साथ, प्रेरणा और मार्गदर्शन अत्यंत महत्वपूर्ण है। वरिष्ठ नागरिकों के पास जो अनुभव और ज्ञान है, वह युवा पीढ़ी को जटिल चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है। वृद्धावस्था आध्यात्मिक रूप से खुद को सशक्त बनाने, अपने जीवन और कार्यों का विश्लेषण करने और सार्थक जीवन जीने का भी एक चरण है। आध्यात्मिक रूप से सशक्त वरिष्ठ नागरिक देश और समाज को अधिक समृद्धि और प्रगति की ओर ले जा सकते हैं।

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(Udaipur Kiran) / सुशील कुमार

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