हरिद्वार, 24 अगस्त (Udaipur Kiran) । प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व विभाग, गुरुकुल कांगड़ी सम विश्वविद्यालय में आज अमर बलिदानी शिवराम हरि राजगुरु को उनकी एक सौ सोहलवीं जयंती पर श्रद्धासुमन अर्पित किए गए। इस अवसर पर इतिहास विभाग के छात्रों ने अपने शिक्षकाें के साथ मिलकर अमर बलिदानी राजगुरु पर एक संगोष्ठी आयोजित करके उनको श्रद्धांजलि दी।
संगोष्ठी का प्रारम्भ करते हुए इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ. हिमांशु पण्डित ने कहा कि आज भले ही अंग्रेजों का शासन भारत में नही है। हमें किसी विदेशी गुलामी से भी लड़ने की आवश्यकता नहीं है परन्तु आज भी अनेक नकारात्मक शक्तियां पूरी ताकत से देश में सक्रिय हैं। उनसे लड़ने के लिए फिर से हमें राजगुरु जैसे लोग चाहिए। अब हमें खुद ही अपने अन्दर के राजगुरु को इन ताकतों के खिलाफ खड़ा करना होगा। इन नायकों को बस याद करके छोड़ देने से काम नही चलेगा बल्कि खुद ही राजगुरु बनना पड़ेगा।
छात्र राहुल ज्याला ने कहा कि आज पहली बार कहीं राजगुरु की जयंती मनाने का अवसर मिला है और यह गुरुकुल के इतिहास विभाग में ही संभव था।
छात्र मयंक सैनी ने बताया कि किस प्रकार राजगुरु ने भगत सिंह और सुखदेव के साथ मिलकर लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला सांडर्स से लिया था। राजगुरु के जीवन पर प्रकाश डालते हुए मयंक ने बताया कि कैसे महाराष्ट्र के पुणे के एक छोटे से गांव खेड़ से निकलकर उन्होंने युवावस्था में देश और समाज के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे दिया।
मुख्य अतिथि इतिहास विभाग के शिक्षक डॉ. दिलीप कुशवाहा ने कहा कि आज के युवा को राजगुरु सरीखे नायकों से प्रेरणा लेनी चाहिए। जिस आयु में आज के युवा सोशल मीडिया के जाल में फंसे हुए हैं, उस आयु में उन्होंने देश के लिए स्वयं को बलिदान कर दिया।
इस अवसर पर राजगुरु को श्रद्धांजलि देने वालों में डॉ. सत्येन्द्र सिंह, कुलभूषण शर्मा, डॉ. गौरव भदौरिया, डॉ. पंकज कौशिक, हेमन्त नेगी, प्रांजल सिंह, मानव चमोली, राहुल ठाकुर, अमन चौधरी, ऋतिक, आयुष कश्यप, प्रकाश नाथ, अनुकेश, नितेश पाण्डेय, दिलीप श्रीवास्तव, राजेन्द्र कुमार, शिव कुमार, सागर कुमार उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला / दधिबल यादव