
धर्मशाला, 17 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला द्वारा वीरवार को “एक राष्ट्र, एक चुनाव” विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। धौलाधार परिसर स्थित सेमिनार हॉल में आयोजित इस शैक्षणिक कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में एक साथ चुनाव कराए जाने की संभावनाओं, चुनौतियों और प्रभावों पर व्यापक विमर्श करना रहा।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सत प्रकाश बंसल मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे, जिन्होंने विषय की वर्तमान प्रासंगिकता और दूरगामी प्रभावों पर विचार साझा किए। संगोष्ठी की अध्यक्षता और संयोजन का दायित्व विधायक जे.आर. कटवाल ने निभाया जिन्होंने विषय पर गहन विश्लेषण और दिशा-निर्देश प्रस्तुत किए।
संगोष्ठी की शुरुआत में प्रो. प्रदीप कुमार, अधिष्ठाता अध्ययन ने स्वागत भाषण देते हुए लोकतंत्र को सशक्त बनाने हेतु चुनावी सुधारों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बार-बार होने वाले चुनावों से शासन की निरंतरता पर प्रभाव पड़ता है और यह आर्थिक दृष्टि से भी चुनौतीपूर्ण होता है।
मुख्य वक्ता प्रो. सत प्रकाश बंसल ने अपने संबोधन में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि वे समाज में जिम्मेदार नागरिकों के निर्माण तथा लोकतांत्रिक चेतना के विस्तार में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। उन्होंने रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के सिद्धांत का समर्थन करते हुए इसे एक राष्ट्र, एक चुनाव जैसे व्यापक शासकीय उपायों से जोड़ा। उन्होंने कहा कि यह विचार अब केवल विमर्श का विषय नहीं रहा, बल्कि यह राष्ट्र की आवश्यकता बन गया है, जिसे शीघ्र लागू किया जाना चाहिए।
प्रो. शशिकांत शर्मा विभागाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने विशिष्ट वक्ता के रूप में विषय के संवैधानिक और कानूनी पहलुओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली को लागू करने के लिए संविधान में व्यापक संशोधन आवश्यक होंगे, ताकि केंद्र और राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को एकरूपता प्रदान की जा सके।
विधायक जे.आर. कटवाल जो पूर्व में आईएएस अधिकारी रह चुके हैं ने कहा कि एक साथ चुनाव कराने से न केवल चुनावी खर्च में भारी कटौती होगी बल्कि चुनावी हिंसा में भी कमी आएगी। साथ ही बार-बार लागू होने वाली आचार संहिता के कारण शासन व्यवस्था में जो बाधाएं आती हैं, वे भी दूर की जा सकेंगी।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया
