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एक ही घटना की दूसरी एफआईआर सम्भव, बशर्ते घटना के तथ्य, सबूत व कथन भिन्न-भिन्न हो : हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट

–कोर्ट ने जेल से बाहर आई पत्नी की पति के हत्या की दूसरी एफआईआर दर्ज करने से इंकार करने का आदेश किया रद्द

–याची की धारा 156(3) की अर्जी पर आदेश देने का सीजेएम मथुरा को निर्देश

प्रयागराज, 14 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि एक ही घटना की दूसरी एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती, ऐसा करना अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। किंतु अगर घटना के कथन, तथ्य व साक्ष्य का खुलासा होने पर भिन्नता पाई जाती है तो उसी घटना की दूसरी एफआईआर दर्ज की जा सकती है।

कोर्ट ने कहा घटना क्रम भिन्न है तथा अलग तथ्य का खुलासा हुआ है तो दूसरी एफआईआर अनुमन्य है। कोर्ट ने याची की तरफ से अपने पति की हत्या के षड्यंत्र की एफआईआर दर्ज कराने से मजिस्ट्रेट द्वारा इंकार करने व इसके खिलाफ दाखिल पुनरीक्षण अर्जी निचली अदालत द्वारा निरस्त करने के आदेशों को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने सी जे एम मथुरा को याची की धारा 156(3) की अर्जी पर नये सिरे से आदेश पारित करने का निर्देश दिया है।

यह आदेश न्यायमूर्ति मंजू रानी चौहान ने श्रीमती संगीता मिश्रा की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। मालूम हो कि पुलिस को 3 मई 20 को एक लावारिस लाश बरामद हुई और दरोगा ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर गला दबाकर हत्या करने व साक्ष्य मिटाने के आरोप में एफआईआर दर्ज की। याची के कबूलनामें के आधार पर चार्जशीट दाखिल कर याची को जेल भेज दिया गया।

जब याची जेल से बाहर आई तो उसने कोर्ट में हत्या की उसी घटना की एफआईआर दर्ज करने के लिए अर्जी दी। जिसे मजिस्ट्रेट ने निरस्त कर दिया। इसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी भी निरस्त कर दी गई। दोनों आदेशो को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई।

कहा गया कि याची व उसके पति की जानकारी के बगैर याची के ससुर ने अपनी सम्पत्ति का बेटों में बंटवारा कर दिया। पता चलने पर विवाद हुआ। 3 मई 20 को उसके पति को विवाद खत्म करने के लिए पति के भाई आये और मौके पर ले गये। उसके बाद वह लौट कर नहीं आये। याची ने दूसरे दिन लापता होने की थाने में शिकायत की। और 28 मई को दुबारा शिकायत की। पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। बाद में रिपोर्ट दर्ज की गई।

पुलिस एफआईआर के तथ्य अलग थे जिसमें पत्नी को ही गला दबाकर पति की हत्या करने का आरोप लगाया गया है और चार्जशीट दाखिल की गई है। किंतु पत्नी याची ने जेल से छूटने के बाद हत्या की घटना की अलग ही षड्यंत्र की कहानी दी। जो पहली एफआईआर से बिल्कुल अलग है।

कोर्ट ने कहा कि एक घटना की दो एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती, किन्तु उसी घटना के दो भिन्न कथन, तथ्य व सबूत के खुलासों के साथ शिकायत की गई हो तो एक ही घटना की दूसरी एफआईआर भी की जा सकती है।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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