कठुआ 29 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज फॉर वूमेन कठुआ के ड्रग डी-एडिक्शन साइकोलॉजिकल काउंसलिंग सेल ने नशीली दवाओं के दुरुपयोग के वर्तमान परिदृश्य पर प्रकाश डालने के लिए “ड्रग्स को ना कहें“ विषय पर तीन वृत्तचित्रों की स्क्रीनिंग का आयोजन किया।
कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज की प्राचार्य डॉ. सावी बहल के कुशल मार्गदर्शन में किया गया। उन्होंने ऐसे आयोजनों को नियमित आधार पर आयोजित करने पर जोर दिया। प्रारंभिक भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि शराब और नशीली दवाओं का दुरुपयोग बड़े पैमाने पर बीमारी और समय से पहले होने वाली मौतों में योगदान देता है। यह कई सामाजिक-आर्थिक परिणामों से जुड़ा है जैसे कमाई का नुकसान और घरेलू हिंसा। यह गरीब और अमीर, शहरी और ग्रामीण सभी पर लगभग एक ही तरह से अपना प्रभाव डालता है। जबकि अमीर और शहरी पीड़ित इसे अपने अनुकूल तरीके से संभाल लेते हैं, ग्रामीण लोग सबसे अधिक प्रभावित होते हैं क्योंकि नशामुक्ति का उपचार उनकी पहुंच में नहीं है। नशामुक्ति मनोवैज्ञानिक परामर्श सेल के सह संयोजक डॉ. सैयद नासेर ने कहा कि नशीली दवाओं का दुरुपयोग इन दिनों सबसे आम बात बन गई है और कई युवा नशे की लत में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर रहे हैं। इसलिए हमारे युवाओं के बीच जागरूकता बढ़ाना और उन्हें इसकी चपेट में आने से रोकना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है।
तीन वृत्तचित्रों का प्रदर्शन छात्रों को मादक द्रव्यों के उपयोग की चिंताजनक स्थिति, नशे की लत के बाद उनके और उनके परिवार के सामने आने वाली समस्याओं और यह लत उम्र, लिंग और वित्तीय स्थिति के बावजूद सभी को कैसे प्रभावित करती है, के बारे में जागरूक करने पर केंद्रित थी। वृत्तचित्रों में पदार्थों के उपयोग में अभूतपूर्व वृद्धि और समाज, विशेष रूप से युवाओं पर उनके उपभोग के विनाशकारी प्रभाव के पीछे के कारणों को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। इन वृत्तचित्रों में नशे की लत से उबरने वाली महिलाओं और अन्य नशेड़ियों की कहानियाँ भी शामिल थीं, जिन्होंने लंबे समय तक चलने वाले प्रभावी उपचार का मुकाबला किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रकोष्ठ की संयोजिका डॉ. रेनू द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ. सोनिका जसरोटिया, डॉ. अजय सनोत्रा, डॉ. सुरेखा रानी और सेल के सभी सदस्यों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य संकाय सदस्य सचिन जीत सिंह, सुरभि गुप्ता, डॉ. गुरप्रीत कौर, डॉ. गगन कुमार और प्रोफेसर राम मूर्ति थे।
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(Udaipur Kiran) / सचिन खजूरिया