वॉशिंगटन, 09 जून (Udaipur Kiran) । अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (एनआईएच) से जुड़े दर्जनों वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और कर्मचारियों ने ट्रंप प्रशासन की ओर से शोध बजट में की गई भारी कटौती पर कड़ी नाराजगी जताई है। इनका कहना है कि यह निर्णय न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान को राजनीतिक रंग दे रहा है, बल्कि इससे अमेरिकी जनता और वैश्विक समुदाय के स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ेगा।
एक खुले पत्र में वैज्ञानिकों ने बताया कि ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के बाद से अब तक करीब 2100 शोध अनुदान रद्द किए जा चुके हैं, जिनकी कुल राशि 9.5 अरब डॉलर थी। इसके साथ ही 2.6 अरब डॉलर के अतिरिक्त अनुबंध भी रद्द कर दिए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि इस प्रकार की अचानक की गई कटौतियों के कारण कई क्लिनिकल ट्रायल बिना किसी सुरक्षा योजना के रोके जा रहे हैं, जिससे प्रतिभागियों की जान को खतरा हो सकता है। इनमें से कई प्रतिभागियों की दवाएं बीच में ही रोक दी गई हैं या उनके शरीर में लगाए गए उपकरण बिना निगरानी के छोड़ दिए गए हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह निर्णय न केवल अनुसंधान के क्षेत्र को नुकसान पहुंचा रहा है, बल्कि भविष्य की चिकित्सा प्रगति और स्वास्थ्य नीतियों के विकास को भी प्रभावित कर रहा है। विशेषज्ञों ने अपील की है कि शोध कार्य को राजनीतिक प्रभाव से मुक्त रखा जाए और राष्ट्रीय स्वास्थ्य के हित में शोध बजट को पुनः बहाल किया जाए।
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(Udaipur Kiran) / आकाश कुमार राय
