Haryana

हिसार: कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों को अपनी कार्य पद्धति में सुधार करने की जरूरत : डॉ. यूएस गौतम

कार्यशाला में उपस्थित मुख्य अतिथि डॉ. यूएस गौतम एवं अन्य।

हकृवि में कृषि विज्ञान केन्द्रों की तीन दिवसीय वार्षिक समीक्षा कार्यशाला संपन्न

हिसार, 13 सितंबर (Udaipur Kiran) । आईसीएआर के उप महानिदेशक (कृषि प्रसार) डॉ. यूएस गौतम ने कहा है कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में कृषि क्षेत्र कि अहम भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियों का समाधान सुनिश्चित करने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों को अपनी कार्य पद्धति में सुधार करना होगा।

डॉ. यूएस गौतम शुक्रवार को हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित राजस्थान, हरियाणा एवं दिल्ली के कृषि विज्ञान केन्द्रों की वार्षिक समीक्षा कार्यशाला के समापन अवसर पर संबोधित दे रहे थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता हकृवि कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने की। डॉ यूएस गौतम ने किसानों की समस्याओं का समाधान करने एवं कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए तकनीकी विकास, शोध कार्य, विस्तार शिक्षा पद्धति को किसानों की फीडबैक के हिसाब से बेहतर ढंग से करने व साथ-साथ प्रचार-प्रसार करने पर बल दिया। वैज्ञानिकों को कम पानी से अधिक उत्पादन देने वाली किस्मों का प्रचार-प्रसार करना होगा। कृषि विज्ञान केंद्रों की समीक्षा करते हुए उन्होंने प्रथम पंक्ति प्रदर्शन, किसानों के खेत पर तकनीक का प्रदर्शन के साथ-साथ केवीके पोर्टल पर मासिक प्रगति रिपोर्ट करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही हाल ही में कृषि विज्ञान केन्द्रों के उद्देश्यों में हुए बदलावों व पीपीपी मॉडल सहित विभिन्न विषयों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

कृषि विकास केन्द्रो की स्थापना वर्ष 1974 से लेकर गत 50 वर्षों में किए गए कार्यों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र के समक्ष चुनौतियां एवं किसानों की समस्याओं को मद्देनजर रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्रों पर वैज्ञानिकों को और अधिक बेहतर ढंग से कार्य करना होगा। देश में कुल 731 केवीके हैं जिनमें गत वर्ष के दौरान 29 लाख से अधिक किसानों को कृषि क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण दिया गया। उन्होंने केवीके द्वारा करवाए जाने वाले प्रशिक्षण कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया।

एचएयू कुलपति प्रो. बीआर कम्बोज ने कहा कि कृषि क्षेत्र के लिए चुनौतियों का समय है। इसलिए कृषि वैज्ञानिक विकसित होने वाली तकनीक व सुचनाओं के आदान प्रदान को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि किसानों का हकृवि एवं कृषि विकास केन्द्रों पर अटूट विश्वास है। उन्होंने पेस्टीसाइड के अंधाधुंध प्रयोग को रोकने के लिए किसानों के साथ-साथ पेस्टीसाइड विक्रेताओं को भी प्रशिक्षण देने का आह्वान किया। कार्यशाला में विभिन्न केवीके वैज्ञानिकों द्वारा गत वर्ष के दौरान किए गए कार्यों एवं विभिन्न गतिविधियों से संबंधित रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस अवसर पर आईसीएआर अटारी जोन-2 के निदेशक डॉ. जेपी मिश्रा, केवीके जोधपुर के वैज्ञानिक डॉ. बीएल जांगिड़ व डॉ. सुनील ढांडा विशेष रूप से उपस्थित रहे।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

Most Popular

To Top