Haryana

हिसार : गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय पहुंचे उज्बेकिस्तान के वैज्ञानिक

प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. डिफ्लूजा जब्बोरोवा का स्वागत करते गुजविप्रौवि हिसार के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई।

एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत सहयोगात्मक अनुसंधान पर करेंगे कार्य

हिसार, 11 सितंबर (Udaipur Kiran) । उज्बेकिस्तान की विज्ञान अकादमी के जीपीईबी संस्थान के प्रमुख एवं प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. डिफ्लुजा जब्बोरोवा एक महीने के शोध दौरे पर गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय आई हैं। प्रोफेसर जब्बोरोवा ने कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई से मुलाकात की और माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी में सहयोगात्मक प्रयोगों के बारे में चर्चा की। इस अवसर पर कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर, प्रो. नमिता सिंह व प्रो. अनिल भानखड़ भी उपस्थित रहे।

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने बुधवार को प्रो. डिफ्लुजा जब्बोरोवा का स्वागत किया तथा कहा कि प्रो. डिफ्लुजा जब्बोरोवा द्वारा किया जा रहा शोध भारत तथा उज्बेकिस्तान के साथ-साथ पूरे विश्व के लिए उपयोगी होगा। साथ ही इससे दोनों संबंधित संस्थानों की विश्व स्तर पर पहचान और मजबूत होगी।

प्रो. जब्बोरोवा एक अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज कार्यक्रम के हिस्से के रूप में गुजविप्रौवि में जैव प्रौद्योगिकी विभाग की माइक्रोबियल बायोटेक्नोलॉजी प्रयोगशाला में काम करेंगी। यह दौरा 2023 में गुजविप्रौवि तथा इंस्टीट्यूट ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट एक्सपेरिमेंटल बायोलॉजी, उज्बेकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) के तहत सहयोगी अनुसंधान पहल का हिस्सा है। एमओयू का उद्देश्य वैज्ञानिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देना, संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं को बढ़ावा देना और दोनों संस्थानों के बीच संबंधों को मजबूत करना है।

प्रो. जब्बोरोवा, जो मृदा सूक्ष्म जीव विज्ञान, बायोचार, पादप सूक्ष्मजीव संपर्क के क्षेत्र मंा विशेषज्ञ हैं, सूक्ष्मजीव जैव प्रौद्योगिकी में सहयोगी प्रयोगों में शामिल होंगी। बुधवार 11 सितंबर से शुरू हुए इस दौरे के दौरान वे 14 से 17 नवंबर तक गुजविप्रौवि द्वारा आयोजित किए जा रहे ‘मानव कल्याण के लिए सूक्ष्म जीवों के परिप्रेक्ष्य’ पर 65वें एएमआई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में एक पेपर भी प्रस्तुत करेंगी। इस यात्रा से अनुसंधान आउटपुट में वृद्धि होने और दोनों देशों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान के लिए एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान करने की उम्मीद है।

(Udaipur Kiran) / राजेश्वर

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