
कोलकाता, 20 मई (Udaipur Kiran) । पश्चिम बंगाल के सरकारी स्कूलों में अपर-प्राइमरी स्तर पर अतिरिक्त (सुपरन्यूमरेरी) पदों के लिए की जा रही भर्तियों पर लगी रोक को हटाने की राज्य सरकार की अपील को कलकत्ता उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है। मंगलवार को न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति स्मिता दास की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि जब तक यह मामला एकल पीठ के समक्ष लंबित है, तब तक रोक हटाना उचित नहीं होगा।
गौरतलब है कि इस भर्ती प्रक्रिया पर पहले न्यायमूर्ति विश्वजीत बसु की एकल पीठ ने रोक लगाई थी। राज्य सरकार ने इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी। खंडपीठ में कई दिनों तक चली सुनवाई के बाद भी न्यायालय ने पूर्व में लगाई गई रोक को हटाने से इनकार कर दिया।
खंडपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि जब तक एकल पीठ में मामला विचाराधीन है, तब तक रोक हटाना न्यायसंगत नहीं होगा। अब इस मामले की अगली सुनवाई 18 जून को न्यायमूर्ति बसु की अदालत में होगी। यह सुनवाई महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इसमें अतिरिक्त पदों पर भर्ती को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से विस्तृत कानूनी तर्क सामने आ सकते हैं।
हाल ही में अपर-प्राइमरी शिक्षक पदों के अभ्यर्थियों ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा के राज्यसभा सांसद बिकाश रंजन भट्टाचार्य के चैंबर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि भट्टाचार्य के कानूनी तर्कों के कारण राज्य में शिक्षक नियुक्तियां रद्द होती रही हैं। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने न्यायमूर्ति बसु के खिलाफ भी आपत्तिजनक टिप्पणियां कीं, जो कि अदालत की अवमानना के दायरे में आती हैं।
इस पूरे मामले को देखते हुए अब एक स्वत: संज्ञान (सुओ मोटो) अवमानना याचिका पर सुनवाई हो रही है। यह याचिका न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी, न्यायमूर्ति सब्यसाची भट्टाचार्य और न्यायमूर्ति राजर्षि भट्टाचार्य की विशेष तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष विचाराधीन है, जो विशेष रूप से इस मामले की सुनवाई के लिए गठित की गई है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
