धर्मशाला, 25 अप्रैल (Udaipur Kiran) । हिमाचल सरकार में व्यवस्था परिवर्तन के नाम पर क्या असंवेदनशीलता और भ्रष्टाचार का इतना बोलबाला हो गया है कि अधिकारी आत्महत्या तक कर रहे हैं या नौकरी छोड़ रहे हैं। सरकार से यह सवाल कर्मचारी संगठन के पूर्व राष्ट्रीय सचिव एवं प्रदेशाध्यक्ष और भाजपा देव समाज प्रकोष्ठ के जिला संयोजक सत्येंद्र गौतम ने पूछा है।
यहां जारी एक प्रेस बयान में उन्होंने कहा कि नवंबर 2024 में जिला बन अधिकारी देवेंद्र सिंह डढवाल को कैंसर से जूझ रही पत्नी की देखभाल के लिए ट्रांसफर न मिलने के कारण वीआरएस मांगनी पड़ी। हिमाचल प्रदेश पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी का 18 मार्च को झील से शव बरामद हुआ। कथित आत्महत्या के लिए उनके परिजनों ने उनको उच्च अधिकारियों द्वारा प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं। इसी तर्ज पर पिछले कल धर्मशाला के निवर्तमान एसडीएम संजीव भोट ने भी स्थानांतरण के बाद वीआरएस के लिए अप्लाई करते हुए कहा कि उनको विमल नेगी नहीं बनना है।
सत्येंद्र गौतम ने कहा कि संजीव भोट के इस कथन के पीछे गूढ़ राज हैं। पूर्व एसडीएम ने उच्चाधिकारियों पर दबाव डालने के आरोप लगाए हैं। क्या श्री चामुंडा मंदिर अधिकारी या एसडीएम धर्मशाला होने के नाते उन पर कोई ऐसा काम करने का दवाब बनाया जा रहा था जो अनैतिक या भ्रष्टाचार से संबंधित था। हो सकता है जांच में उनपर अंडर परफॉर्मेंस का आरोप लगा दिया जाए परंतु फिर भी सरकार इसकी जांच करवाये कि क्या सरकार में ऐसे अधिकारी हैं जो गलत कामों के लिए दवाब बना रहे हैं जिस कारण ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया
