–डायट प्राचार्य व सनातन एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने व्याख्यान का किया शुभारम्भ
प्रयागराज, 21 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । प्रत्येक व्यक्ति में सतो गुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों गुण न्यूनाधिक पाए जाते हैं। इसी प्रकार प्रत्येक दिन में चारों युगों का प्रभाव होता है। सुबह 4 बजे से सूर्योदय तक सत युग, सूर्योदय से दोपहर तक त्रेता युग, दोपहर से शाम तक द्वापर युग और सूर्यास्त से लेकर रात्रि ब्रहम मुहूर्त तक कलियुग का विशेष प्रभाव रहता है।
उक्त विचार बतौर मुख्य अतिथि सनातन एकता मिशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक पाठक ने गीता के कर्मयोग विज्ञान पर व्यक्त किया। डायट सभागार में शनिवार को आयोजित ‘गीता के कर्मयोग पर व्याख्यान’ में अशोक कुमार पाठक ने कहा कि ब्रह्ममुहूर्त से सूर्योदय पर्यन्त सतोगुण प्रधान होता है। इस काल में किये गये कार्य सात्विक वृत्ति के और अत्यन्त सफलता दायक होते हैं। अध्ययन, अध्यापन, जप तप इस समय विशेष प्रभावी होता है। सूर्योदय से दोपहर तक का समय त्रेता युग प्रधान होने से प्रमुखता से सतो गुण और रजोगुण और थोड़ा तमोगुण होता है।
इसके पूर्व डायट प्राचार्य राजेन्द्र प्रताप एवं अशोक कुमार पाठक ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। अशोक पाठक ने कहा कि दोपहर से शाम तक रजोगुण और तमोगुम की मात्रा प्रमुख होती है और थोड़ा सतोगुण होता है। अन्त में शाम से रात का समय प्रमुखता से तमोगुण प्रधान होता है और बहुत न्यून सतोगुण होता है। इसलिए जैसे कार्य सम्पादित करने हों उसी के अनुरूप समय का चयन करना चाहिए। पाठक ने कहा कि पदार्थ के अपने नियत लक्षण होते हैं। गीता में कहा है कि “जायते क्रियमाणानि गुनैः कमाणि सर्वशः अहंकार विमूढात्मा कर्ता अहम इति मन्यते।। अर्थात प्रकृति के पदार्थ अपने गुणों के अनुसार एक दूसरे के साथ व्यवहार करते हैं। अहंकार के वशीभूत मूढ व्यक्ति ऐसा सोचता है कि मैं ही कार्य करता हूं। जैसे मदिरा पान के बाद व्यक्ति का व्यवहार बदल जाता है।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र