– उत्तर प्रदेश मिलावट में सबसे आगे, दूसरे नम्बर पर राजस्थान
प्रयागराज, 16 सितम्बर (Udaipur Kiran) । शारीरिक और मानसिक विकास व स्वस्थ रहने के लिए खाद्य पदार्थ का शुद्ध होना आवश्यक है। भोजन से ही शरीर को पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है। व्यक्ति जो कुछ खाता है उसका सीधा असर उसकी सेहत पर पड़ता है। आधुनिक युग में अधिकांश रोगों का मूल कारण मिलावटी खाद्य पदार्थ का जाने अनजाने रोजाना सेवन है।
यह बातें सोमवार को एसकेआर योग एवं रेकी शोध प्रशिक्षण और प्राकृतिक संस्थान रेकी सेंटर पर जाने-माने स्पर्श चिकित्सक सतीश राय ने कही। उन्होंने कहा आजकल लोग अपनी सेहत को लेकर काफी गम्भीर हैं। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए डिब्बा बंद न्यूट्रिशन, फल, ड्राई-फ्रूट, दुग्ध उत्पाद सेवन के साथ अच्छा व पौष्टिक भोजन योगा स्पर्श ध्यान रोज टहलना जिम में सेहत बनाने से लेकर सभी तरह के उपायों को अपना रहे हैं।
दूध में यूरिया की मिलावट
सतीश राय ने कहा कि पहले दूध में पानी मिलाने की शिकायतें आती थी, परंतु पिछले कुछ वर्षों में ऐसे कैमिकल मिलाए जा रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है। चंडीगढ़ में खरड़ स्थित ड्रग फूड एवं केमिकल टेस्टिंग लैबोरेट्री के सूत्रों के अनुसार दूध में यूरिया, डिटर्जेंट, कास्टिक सोडा, माल्टोडेक्सट्रिन आदि की मिलावट बहुत बढ़ गई है। मिलावटखोरों का दूध में इस प्रकार की वस्तुओं को मिलाने का उद्देश्य दूध की मात्रा के साथ सॉलिड नॉन फैट और फैट बढ़ाना होता है। दूध शीघ्र खराब न हो इसके लिए उसमें हाइड्रोजन पैराक्साइड व फार्मालिन मिलाया जाता है। अमोनिया व यूरिया के कारण खराब हुए स्वाद को ठीक करने के लिए उसमें आटा व स्टार्च मिलाया जाता है।
राज्यसभा में पेश रिपोर्ट से मिलावट का हुआ खुलासा
सतीश राय ने बताया कि राज्यसभा में फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से 3 वर्षों में लिए गए सैंपलों के आंकड़े प्रस्तुत किये गये। जिसमें उप्र वर्ष 2023-24 में दूध और दूध से बने उत्पादों के 27750 में से 16183 सैम्पल फेल पाए गए। राजस्थान में 18264 में से 3565, तमिलनाडु में 18146 में से 2237, केरल में 10792 में से 1297, पंजाब में 6041 में से 929, हिमाचल प्रदेश में 1617 में से 396, हरियाणा में 3485 में से 856 सैंम्पल फेल पाए गए।
नकली मीठा शरीर के लिए धीमा जहर
सतीश राय ने कहा आर्टिफिशियल स्वीटनर के इस्तेमाल से कुछ फायदा तो जरूर है लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह के बिना इस्तेमाल से बचना चाहिए। नकली मीठा शरीर के लिए धीमा जहर है। यह पाचन क्रिया पर विपरीत असर डालता है। ज्यादा मात्रा में सेवन से डायबिटीज, कैंसर, चक्कर आना, मिचली, अस्थमा तथा वजन बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। आइसक्रीम, मिठाई सहित बहुत से खाद्य पदार्थों में आर्टिफिशियल स्वीटनर का प्रयोग कर मंहगे दामों में बेच रहे हैं। कृत्रिम मिठास चीनी से कई गुना ज्यादा नुकसान करता है।
बड़ी बड़ी दुकानों में स्वाद बढ़ाने को ज्यादा केमिकल का इस्तेमाल
सतीश राय ने कहा कि दूध में मिलावट का शरीर पर धीरे-धीरे दुष्प्रभाव दिखता है। यूरिया और अमोनिया से किडनी लीवर की बीमारियां होती हैं। पेट की बीमारियों के साथ शुगर का लेवल भी बढ़ता है। बड़ी-बड़ी मिठाइयों की दुकानों में अत्यधिक स्वादिष्ट हेतु मिठाइयों को सॉफ्ट बनाने व स्वाद बढ़ाने के लिए मानक से ज्यादा केमिकल का इस्तेमाल बेखौफ किया जा रहा है। जो हमारे लीवर व किडनी पर सीधे प्रभाव डालता है।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र