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जयपुर, 6 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । भारत के विकास में संस्कृत भाषा की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। वैश्विक युग में जब भारत तेजी से विकसित हो रहा है, तब संस्कृत का योगदान इस विकास यात्रा में अनमोल है। यह बात गुरुवार को शास्त्री कोसलेंद्रदास ने दिल्ली रोड स्थित अमेटी विश्वविद्यालय में व्याख्यान के दौरान मुख्य अतिथि के रूप में कही। जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के दर्शन विभागाध्यक्ष कोसलेंद्रदास ने कहा कि संस्कृत से मानव समाज को मानसिक और बौद्धिक विकास के लिए एक सशक्त आधार प्राप्त होता है। संस्कृत में प्राचीन वैज्ञानिक ग्रंथों का संग्रह है, जो गणित, चिकित्सा, खगोलशास्त्र और भौतिकी से संबंधित हैं। आर्यभट, भास्कराचार्य, और वराहमिहिर जैसे महान वैज्ञानिकों के कार्यों का अभिलेख संस्कृत भाषा में ही उपलब्ध है, जिन पर अनुसंधान की आवश्यकता है।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. अमित जैन ने कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में संस्कृत के अध्ययन से न केवल भाषा कौशल में सुधार होता है, बल्कि यह बौद्धिक क्षमता को भी बढ़ाता है। संस्कृत में शब्दों की गहरी समझ और ध्वनियों के बीच संबंध को जानने से विद्यार्थियों की सोचने की क्षमता में सुधार होता है। इसके अलावा, संस्कृत की व्याकरणिक संरचना तर्क और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाती है। संयोजक डॉ. मनोज शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय एकता शिविर के तहत चल रहे आयोजन में सेंकड़ों विद्यार्थी लाभान्वित हो रहे हैं।
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(Udaipur Kiran)
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