
उ. 24 परगना, 20 जून (Udaipur Kiran) । संस्कृतभारती के पूर्व क्षेत्र द्वारा आयोजित द्वादश दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर का समापन शनिवार को हालीशहर स्थित निगमानंद आश्रम में हुआ। समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्वांचल सांस्कृतिक केंद्र (ईज़ेडसीसी) के निदेशक डॉ. आशिष गिरि उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत भारतीय संस्कृति की आत्मा है, और इसके माध्यम से ही भारत का सर्वांगीण विकास संभव है।
समारोह में सरस्वत अतिथि के रूप में संघ के क्षेत्र संघचालक डॉ. जयंत रायचौधुरी, मुख्य वक्ता के रूप में संस्कृतभारती पूर्व क्षेत्र के संगठन मंत्री प्रणव नंद तथा अध्यक्ष के आसन पर हालीशहर मठ के अधिष्ठाता प्रनवेश चैतन्य महाराज विराजमान थे।
प्रणव नंद ने शुक्रवार शाम बताया कि यह प्रशिक्षण शिविर तीन जून से 15 जून तक चला जिसमें संपूर्ण वातावरण संस्कृतमय था। सभी प्रतिभागी केवल संस्कृत भाषा में ही संवाद करते थे। शिविर का उद्घाटन कोलकाता से प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक पत्रिका ‘स्वस्तिका’ के पूर्व संपादक डॉ. विजय आढ़्य और प्रनवेश चैतन्य महाराज ने संयुक्त रूप से किया।
शिविर में 100 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें शिक्षक, शिक्षिकाएं, प्रोफेसर, नौकरीपेशा और विभिन्न क्षेत्रों के संस्कृतप्रेमी शामिल थे। प्रत्येक दिन सुबह पांच बजे से रात 10 बजे तक कठोर अनुशासन के तहत निर्धारित कार्यक्रमों का संचालन हुआ।
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शुद्ध उच्चारण के लिए अनुभवी शिक्षकों द्वारा विशेष प्रशिक्षण
शिविर में संस्कृत भाषा के शुद्ध उच्चारण और बोलचाल को सुदृढ़ करने के लिए छह समूहों में विभाजित कर प्रशिक्षण दिया गया। विज्ञान विषयक प्रदर्शनी और महापुरुषों की जीवनगाथाओं से युक्त चित्र प्रदर्शन ने शिविर को अत्यंत प्रेरणादायक बनाया।
हर शाम पांच बजे से सात बजे तक नि:शुल्क संवाद शिविर का आयोजन हुआ, जहां संस्कृत प्रेमी आम नागरिकों को भी संस्कृत भाषा में संवाद करने का प्रशिक्षण मिला।
शिविर के प्रमुख सिद्धिनाथ पाठक ने बताया कि जिन शिक्षार्थियों ने प्रशिक्षण लिया, वे अब अपने-अपने क्षेत्र में जाकर सिर्फ 10 दिनों में सरल संस्कृत बोलने का प्रशिक्षण दूसरों को दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि संस्कृतभारती प्रतिवर्ष इस तरह के प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करती है और अब तक हजारों बंगाली लोग धाराप्रवाह संस्कृत बोलने में सक्षम हो चुके हैं। उन्होंने विश्वास जताया कि हम अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ रहे हैं।
(Udaipur Kiran) / अनिता राय
