
रांची, 1 जून (Udaipur Kiran) । संस्कृत भारती की ओर से आयोजित क्षेत्रीय प्रशिक्षण वर्ग के 10 वें दिन का शुभारम्भ दिवस प्रमुखों ने दीपज्वालन और वैदिक मंगलाचरण के साथ रविवार को किया।
स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, रांची विश्वविद्यालय के वरीय प्राध्यापक और संस्कृत भारती रांची के महानगर अध्यक्ष डॉ प्रकाश सिंह ने कहा कि संस्कृत केवल भाषा ही नहीं बल्कि, मानव निर्माण की पाठशाला है। संस्कृत पढ़ने वाले लोग स्वावलम्बी होने के साथ राष्ट्रसमुन्नति के लिए तत्पर रहते हैं। आज संस्कृत पढ़ने वाले हर छात्र को रोजगार भी सरलता से प्राप्त हो रहा है।
संस्कृत भाषा में अन्तर्निहित ज्ञान भारत का मूलाधार है।
संस्कृत भारती के अखिल भारतीय मन्त्री नन्द कुमार ने कहा कि सरल मानक संस्कृत के माध्यम से हर घर तक प्रसार सम्भव है। संस्कृत भाषा विश्व की प्राचीनतमा भाषा होने के साथ-साथ वैज्ञानिकता और दार्शनिकता से परिपूर्ण है। आधुनिक काल में ब्रिटिश विद्वानों को जब इस प्राचीनतम भाषा का ज्ञान हुआ तो उन्हें संस्कृत में विश्व की अन्य प्राचीन और आधुनिक भाषाओं का अक्षय स्रोत दिखने लगा।
इससे तुलनात्मक भाषाशास्त्र का जन्म हुआ। इसके कारण इस भाषा ने किस भाषा से क्या लिया और क्या दिया। विषय पर अनुसंधान शुरू हुआ। संस्कृत भाषा से गहरा परिचय प्राप्त होने पर विद्वानों को पता चला कि वैखरी रूप में व्यक्त होने के पहले वाणी परावाक् पश्यंती और मध्यमा से गुजरकर वैखरी तक पहुंचती है। भाषा वैज्ञानिकों को यह भी पता चला कि अन्य भाषाएं जहां सिर्फ दूसरों के साथ ही जोड़ती हैं, वहां संस्कृत भाषा व्यक्ति को स्वयं के आंतरिक जगत से भी जोड़ती है।
प्रशिक्षकों में सर्वेश मिश्र,विनय पाण्डेय,पृथ्वीराज सिंह ,दीपचन्दराम कश्यप,राम अचल यादव,राजूदेव,अंशुमान सहित अन्य उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
