
रांची, 28 मई (Udaipur Kiran) । संस्कृत भारती उत्तर-पूर्व क्षेत्र की ओर से आयोजित क्षेत्रीय शिक्षण-प्रशिक्षण वर्ग के छठवें दिन बुधवार का शुभारंभ समाजसेवी और व्यवसायी भानु प्रकाश जालान, समाजसेवी विपुल विद्यालंकार और डीएवी स्वर्णरेखा पब्लिक स्कूल की प्राचार्या डॉ मंजू सिंह ने संयुक्त् रूप से किया।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह ने वैदिक मंत्रों के उच्चारण किया।
मुख्य अतिथि भानु प्रकाश जालान ने कहा कि संस्कृत भाषा केवल एक भाषा नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की रीढ़ है। यह भाषा सशक्त, समर्थ एवं सफल मानव निर्माण की धुरी है। संस्कृत के माध्यम से न केवल वैचारिक, नैतिक और बौद्धिक विकास संभव है, बल्कि यह आत्मबोध और राष्ट्रबोध को भी जागृत करती है। उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली में संस्कृत की उपेक्षा पर चिंता जताई और कहा कि राष्ट्र की जड़ों से जुड़ने के लिए संस्कृत का शिक्षण अनिवार्य है।
समाजसेवी विपुल विद्यालंकार ने कहा कि संस्कृत एक ऐसी भाषा है जो सम्पूर्ण विश्व को एकता के सूत्र में बांधने में सहायक हो सकती है। उन्होंने कहा कि संस्कृत में न केवल भाषायी समृद्धि है, बल्कि इसकी संरचना वैज्ञानिक और तार्किक भी है, जो आज की पीढ़ी को तर्कशीलता, विवेक और संतुलन सिखा सकती है।
ज्ञान, वैज्ञानिकता और प्रामाणिकता का संगम है संस्कृत : प्राचार्या
प्राचार्या डॉ मन्जू सिंह ने संस्कृत को ज्ञान, वैज्ञानिकता और प्रामाणिकता का अद्भुत संगम बताया। उन्होंने कहा कि आज जब वैश्विक शिक्षा पद्धति में मूल्य-शिक्षा की आवश्यकता महसूस की जा रही है, तब संस्कृत जैसा भाषा माध्यम इस दिशा में कारगर सिद्ध हो सकता है। उन्होंने संस्कृत के प्रचार-प्रसार में शिक्षकों और विद्यालयों की भूमिका को भी अत्यंत महत्वपूर्ण बताया।
संस्कृत भारती के प्रांताध्यक्ष डॉ ताराकान्त शुक्ल ने बताया कि भारत का सम्पूर्ण वैदिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और साहित्यिक वैभव संस्कृत वाङ्मय में समाहित है। उन्होंने संस्कृत को भारत की आत्मा बताया और कहा कि इस भाषा के बिना भारत के गौरवशाली अतीत की कल्पना अधूरी है। संस्कृत का शब्दभंडार अत्यंत व्यापक, सटीक एवं समृद्ध है, जो इसे विश्व की विलक्षण भाषाओं में स्थान दिलाता है।
इस अवसर पर डॉ दीपचंद राम कश्यप, सर्वेश कुमार मिश्र, पृथ्वीराज सिंह, विनय पांडेय, गोपाल, चंदन, तनु सिंह सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।
—————
(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
