Uttar Pradesh

शिक्षा के उद्देश्य में संस्कार स्वयं समाहित है : संजय श्रीवास्तव

संजय श्रीवास्तव

प्रयागराज, 04 सितम्बर (Udaipur Kiran) । आज हर व्यक्ति का शिक्षित होना न केवल सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में सहायक है, अपितु शिक्षित व्यक्ति के आत्म सम्मान को बढ़ाने और जीवन के लक्ष्य को पाने की राह को सुगम बनाती है। क्योंकि शिक्षा ही वह माध्यम है, जिसके उद्देश्य में संस्कार स्वयं समाहित है। नई शिक्षा नीति हमें स्वावलम्बी बनाने के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाने में सहायक है।

उक्त विचार शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रीय अमूल्य शिक्षा निधि अवार्ड से सम्मानित टैगोर पब्लिक स्कूल के वरिष्ठ रसायन शास्त्र प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने (Udaipur Kiran) प्रतिनिधि को दिये गये साक्षात्कार में कही। संजय श्रीवास्तव विगत 35 वर्षों से विज्ञान शिक्षा से जुड़े हुए हैं। जिनके मार्गदर्शन में लगभग 1500 बाल वैज्ञानिकों ने स्थानीय समस्याओं पर अपने शोध पत्र तैयार कर प्रस्तुत किये और प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर विद्यालय का नाम रौशन किया है।

बता दें कि, अपने विद्यालय के अलावा प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों के विद्यार्थियों मे विज्ञान को लोकप्रिय बनाने एवं विज्ञान में रुचि उत्पन्न करने के लिए, विज्ञान आओ करके सीखें की अपनी शिक्षण पद्धति से विज्ञान के जटिल से जटिल सिद्धांतों को अत्यंत सरल ढंग से अपने विद्यार्थियों को समझाने के कारण विद्यार्थियों में लोकप्रियता के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग एवं भारत सरकार के राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी द्वारा सर्वश्रेष्ठ विज्ञान शिक्षक अवार्ड, भारत रत्न प्रो. सी.एन.आर राव द्वारा बेंगलुरु में नेशनल आउट स्टैंडिंग साइंस टीचर अवार्ड के अलावा विभिन्न सामाजिक, वैज्ञानिक, सरकारी और गैर सरकारी संगठनों द्वारा विद्यार्थियों में विज्ञान के लोकप्रिय करण के लिए राष्ट्रीय शिक्षा रत्न अवार्ड, विज्ञान संचारक सम्मान, ग्लोबल ग्रींस पर्यावरण शिक्षक सम्मान, विज्ञान शिक्षा रत्न अवार्ड एवं प्रतिष्ठित एशिया पैसिफिक ग्लोबल अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। संजय श्रीवास्तव राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सेमिनारों में अपने कई शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं। पर्यावरण पर आधारित उनकी दो पुस्तकें ग्रीन कुम्भ, क्लीन कुम्भ और पर्यावरण प्रदूषण के खतरे प्रकाशित हो चुकी है। उनकी अगली पुस्तक ‘पानी रे पानी तेरा रंग कैसा’ शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है।

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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र

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