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इंदौर में हुआ संघ का घोष वादन, वंशी पर गूंजी राम आएंगे धुन, भागवत बाेले-हम अब विश्व पटल पर खड़े हैं  

इंदौर में संघ का घोष वादन संपन्न
इंदौर में संघ का घोष वादन संपन्न
स्वयंसेवकों ने बनाई शिवलिंग, स्वस्तिक और 100 की आकृति

– स्वयंसेवकों ने बनाई शिवलिंग, स्वस्तिक और 100 की आकृति

इंदौर, 03 जनवरी (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में शुक्रवार को इंदौर में घोष वादन कार्यक्रम हुआ। इसमें सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत भी मौजूद रहे। वे संघ कार्यालय सुदर्शन से दोपहर 3.15 बजे दशहरा मैदान स्थित कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। ध्वजारोहण के बाद मालवा प्रांत के 28 जिलों के 870 घोष वादकाें की प्रस्तुति शुरू हुई। वादकों ने वंशी की धुन पर राम आएंगे अवध में राम आएंगे.. भजन की सम्मोहक प्रस्तुति दी। घोष दल ने संघ के 100 साल पूरे होने के अवसर पर 100 की आकृति बनाई। इसी तरह शिवलिंग और स्वस्तिक की आकृति भी बनाई गई।

कार्यक्रम में सरसंघचालक डॉ. भागवत ने कहा कि एक साथ इतने स्वयंसेवक संगीत का प्रस्तुतीकरण कर रहे हैं। यह एक आश्चर्यजनक घटना है। हमारी रण संगीत परंपरा जो विलुप्त हो गई थी, अब फिर से लौट आई है। महाभारत में पांडवों ने युद्ध के समय घोष किया था, उसी तरह संघ ने भी इसे पुनः जागृत किया। उन्होंने बताया कि संघ जब शुरू हुआ, तब शारीरिक कार्यक्रमों के साथ-साथ संगीत की भी आवश्यकता थी। उस समय मिलिट्री और पुलिस से ही संघ ने संगीत सीखा। यह सब देशभक्ति के लिए किया गया।

डॉ. भागवत ने कहा कि हमारा देश दरिद्र नहीं है। हम अब विश्व पटल पर खड़े हैं। संघ के कार्यक्रमों से मनुष्य के सद्गुणों में वृद्धि होती है। डंडा चलाने का उद्देश्य झगड़ा करना नहीं है, बल्कि यह उस स्थिति के लिए है, जब कोई हमारे सामने आकर गिर जाए, तो हम उसकी मदद कर सकें। लाठी चलाने वाले व्यक्ति को वीरता प्राप्त होती है, वह कभी नहीं डरता। इस दौरान सरसंघचालक ने स्वयंसेवकों को देशभक्ति और अपने कर्तव्यों को निभाने का संदेश भी दिया।

उन्होंने कहा कि संगीत के अनुरागी सब हैं, लेकिन साधक सब नहीं हैं। अपना-अपना काम करते हुए समय निकालकर अभ्यास करते हुए उन्होंने यह प्रस्तुति दी है। स्वाभाविक रूप से इसे सुनकर सभी को आश्चर्य हुआ है। संघ जब शुरू हुआ तो शारीरिक कार्यक्रमों के लिए संगीत अच्छा लगता है। इसलिए परिश्रमपूर्वक देख-देख कर सीखा। उस समय भारतीय परंपराओं में इस प्रकार का वादन कहीं पर नहीं था। नागपुर के कामठी कैंटोनमेंट के परेड ग्राउंड के बाहर कंपाउंड में बैठकर घोष वादन सीखने की शुरुआत की गई।

उन्होंने कहा कि ध्वजारोहण के समय आपने राजेश्वरी राग में जो रचना सुनी वो सबसे पहले बनी। बाद में संचलन और व्यायाम योग के लिए अनुकूल धुनें भारतीय संगीत के आधार पर बनी। जो दुनिया में सबके पास है, वो हमारे पास भी होना चाहिए। हम किसी से पीछे नहीं हैं। संघ के कार्यक्रम प्रदर्शन के लिए नहीं होते। इससे मनुष्य की संस्कृति, स्वभाव और संस्कार बनते हैं। देश कार्य करने के लिए गुण के साथ वृत्ति भी आवश्यक है।

कार्यक्रम में मंत्री तुलसी सिलावट, विधायक रमेश मेंदोला, मालिनी गौड़, मंत्री विजयवर्गीय, सांसद शंकर लालवानी, जिला अध्यक्ष चिंटू वर्मा सहित अन्य भाजपा नेता भी शामिल हैं। कार्यक्रम में लगभग 12 से 15 हजार लोग शामिल हुए, जिसमें स्वयंसेवक, शहर के गणमान्य लाेग माैजूद रहे।————

(Udaipur Kiran) तोमर

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