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साकेत कोर्ट ने एलजी वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि मामले में मेधा पाटकर की याचिका खारिज की

प्रतिकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली, 18 मार्च (Udaipur Kiran) । दिल्ली की साकेत कोर्ट ने नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर की दिल्ली के उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के खिलाफ दायर 24 साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में पाटकर की ओर से अतिरिक्त गवाहों को समन करने की अर्जी खारिज कर दी है। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास राघव शर्मा ने 20 मार्च को वीके सक्सेना के बयान दर्ज करने के लिए दोनों पक्षों के वकीलों को प्रश्न तैयार करने के लिए सुनवाई करने का आदेश दिया।

कोर्ट ने कहा कि ये मामला 24 साल पुराना है और मेधा पाटकर की ओर से दिए गए सभी गवाहों के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। कोर्ट ने कहा कि मेधा पाटकर ने भले ही अतिरिक्त गवाहों के बयान दर्ज करने की मांग की है लेकिन अर्जी में किस गवाह के बयान दर्ज कराना चाहती हैं इसका उल्लेख तक नहीं है और वो भी इतने साल बीतने के बाद। यहां तक कि 24 वर्षों के ट्रायल के दौरान किसी नये गवाह के नाम का उल्लेख भी कहीं नहीं आया है। ऐसे में शिकायतकर्ता की अर्जी सही प्रतीत नहीं होती है।

दरअसल, मेधा पाटकर ने दिल्ली के उप-राज्यपाल और खादी ग्रामोद्योग निगम के पूर्व चेयरमैन वीके सक्सेना के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया है। ये केस जब दायर किया गया था उस समय अभियुक्त वीके सक्केना नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज के अध्यक्ष थे।

वीके सक्सेना की ओर से दायर एक आपराधिक मानहानि के मामले में मेधा पाटकर को साकेत कोर्ट के मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सजा सुनाई है। मेधा पाटकर ने मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी है जिस पर सेशंस कोर्ट 20 मार्च को फैसला सुनाने वाला है।

(Udaipur Kiran) /संजय

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(Udaipur Kiran) / वीरेन्द्र सिंह

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