श्रीनगर, 17 मई (Udaipur Kiran) । पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और हंदवाड़ा के विधायक सज्जाद लोन ने शनिवार को जम्मू-कश्मीर में हाल ही में सीमा पर हुई गोलाबारी से प्रभावित परिवारों को तत्काल और पूर्ण मुआवजा देने की मांग की।
उन्होंने कॉर्पाेरेट सीएसआर पहलों सहित सरकारी और गैर-सरकारी स्रोतों से धन जुटाने के लिए समर्पित एक अस्थायी संस्थान की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा। सीमावर्ती क्षेत्रों की अपनी यात्रा के बाद लोन ने स्थानीय समुदायों पर विनाशकारी प्रभाव पर गहरी चिंता व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि मनोवैज्ञानिक आघात उतना ही गंभीर है जितना कि भौतिक विनाश। लोन ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी नुकसान हुआ है। घर, दुकानें और अन्य इमारतें नष्ट हो गई हैं। हम सभी वहां गए और दर्द और डर की भावना को महसूस किया जा सकता है। यह भयानक दिन थे जब परिवार लगातार गोलाबारी से भाग रहे थे। छोटे बच्चे डरे हुए हैं और उनकी चंचलता उनसे छीन ली गई है।
लोन ने इन परिवारों के सामने पुनर्निर्माण की बड़ी चुनौती पर प्रकाश डाला जिनमें से कई के पास अपने घरों को फिर से बनाने के लिए संसाधनों की कमी है। उन्होंने सवाल किया कि गरीब आदमी को घर बनाने में पूरी जिंदगी लग जाती है। वह घर गोलाबारी में नष्ट हो गया। अब इसे कौन बनाएगा? क्या गरीब परिवार को घर बनाने में एक और जिंदगी लग जाएगी। पीपुल्स कॉन्फ्रेंस प्रमुख ने जोर देकर कहा कि यह नागरिक राष्ट्रीय संघर्ष के शिकार हैं, व्यक्तिगत विवादों के नहीं। उनके घरों पर व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण गोलाबारी नहीं की गई। उनके घरों पर इसलिए गोलाबारी की गई क्योंकि उनका देश युद्ध में था। युद्ध की लागत देश को उठानी पड़ती है। युद्ध की लागत गरीब सीमा निवासियों को क्यों उठानी चाहिए।
सरकार में अपने अनुभव से लोन ने पारंपरिक मुआवजा तंत्र की आलोचना करते हुए कहा कि यह अपर्याप्त और नौकरशाही के लिहाज से बोझिल है। उन्होंने कहा कि सरकार के पास उपलब्ध पारंपरिक उपाय क्षतिपूर्ति के लिए बहुत कम हैं और अपमान से भरे हुए हैं। उन्होंने बताया कि प्रभावित परिवारों को अक्सर व्यापक कागजी कार्रवाई के बाद मानकीकृत, अपर्याप्त भुगतान प्राप्त होता है। समाधान के तौर पर उन्होंने कॉर्पाेरेट सीएसआर पहलों सहित सरकारी और गैर-सरकारी दोनों स्रोतों से धन जुटाने के लिए समर्पित एक अस्थायी संस्थान की स्थापना का प्रस्ताव दिया है।
लोन ने कहा कि मेरा आकलन है कि नुकसान करोड़ों में है। अगर सरकार के पास संसाधन हैं तो उन्हें भुगतान करना चाहिए। अगर उनके पास संसाधन नहीं हैं तो उन्हें पैसे जुटाने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।
(Udaipur Kiran) / सुमन लता
