नई दिल्ली, 19 नवंबर (Udaipur Kiran) । साहित्य अकादमी ने मंगलवार को अपनी प्रतिष्ठित प्रेमचंद महत्तर सदस्यता बांग्लादेश के प्रख्यात लेखक एवं अनुवादक प्रो. सफ़िक़ुन्नबी सामादी को अर्पित की। दिल्ली के फिरोजशाह रोड स्थित साहित्य अकादमी के मुख्यालय रवींद्र भवन के सभाकक्ष में आयोजित समारोह में उन्हें यह महत्तर सदस्यता अकादमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने प्रदान की।
कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने सफ़िक़ुन्नबी सामादी का स्वागत करते हुए प्रशस्ति-पाठ किया। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में माधव कौशिक ने कहा कि मानचित्र पर जितनी भी सीमाएं हों लेकिन साहित्य हर सीमा के प्रतिबंध से स्वतंत्र होता है। साहित्य ही इंसान को इंसान से जोड़ता है। इसलिए आज सफ़िक़ुन्नबी सामादी का सम्मानित होना उस संवेदना का सम्मान है जो बिना सीमा के हमसब के दिलों में संचारित होती है। हमें सफ़िक़ुन्नबी सामादी को ऐसा विश्व नागरिक मानना चाहिए जो दो देशों के बीच की संवेदनाओं को आपस में जोड़ने का महत्त्वपूर्ण कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर प्रो. सामादी ने कहा, मैं भारतीय उपमहाद्वीप को जोड़ना चाहता हूँ और यह काम भाषाओं के जोड़ने से ही संभव होगा। हिंदी, उर्दू में अनुवाद के जरिए मैं पहले घर, फिर पड़ोस और फिर दुनिया को जोड़ने का काम करना चाहता हूँ। मैं जब अनुवाद करता हूँ तो मैं एक संस्कृति को अनूदित करता हूँ। मैं मानता हूँ कि यह काम धीरे-धीरे एक कारवां का रूप लेगा और इस महाद्वीप की सभी संस्कृतियाँ आपस में मेल-मिलाप की तरह अग्रसर होंगी।
प्राे. सामादी का जन्म 27 अगस्त 1963 को बांग्लादेश के नारायणगंज के सोनारगांव में हुआ। उनकी शैक्षणिक योग्यता में रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से डी-लिट् और पी-एच.डी. की उपाधियों के अलावा जहांगीर नगर विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी में स्नातक (ऑनर्स) और स्नातकोत्तर की उपाधियां शामिल हैं। बांग्ला साहित्य में व्यापक रूप से प्रकाशित होने वाले प्रो. सामादी की अब तक 4 मौलिक पुस्तकें, अनुवाद की 18 पुस्तकें और 3 संपादित पुस्तकें प्रकाशित हैं। मौलिक पुस्तकों में कथा साहित्य वास्तवता: शरतचंद्र और प्रेमचंद, नज़रूलेर गान: कवितार स्वाद, ताराशंकरेर छोटोगल्प: जीवनेर शिल्पित सत्य और साहित्य-गवेषणा: विषय ओ कौशल (संयुक्त प्रकाशन) शामिल हैं। बांग्ला की अनूदित रचनाओं में उर्दू और हिंदी की विविध साहित्यिक पुस्तकों से विभिन्न शैलियों में आच्छादित कविताएं, नाटक, कहानियां, उपन्यास और निबंध शामिल हैं।
कुछ उल्लेखनीय अनुवादों में गुलज़ार की त्रिवेणी और दो लोग, प्रेमचंद की साहित्य का उद्देश्य, धर्मवीर भारती की अंधायुग, अजय शुक्ल की ताजमहल का टेंडर एवं द्वितीय अध्याय, अमृता प्रीतम की चुनिंदा कहानियाँ, गीतांजलि श्री की चुनिंदा कहानियां, निर्वाचित गल्प: इस्मत चुगताई और निर्वाचित कविता: किश्वर नाहिद शामिल हैं। हिंदी में अनूदित पुस्तक जन्मशतवर्ष की श्रद्धांजलि: बांग्लादेश के राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को निवेदित सौ कविताएं, राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को उनकी जन्मशताब्दी के दौरान श्रद्धांजलि के रूप में प्रकाशित की गई थी।
राजशाही विश्वविद्यालय में सन् 1988 से 35 वर्षों से अधिक समय से शिक्षण से जुड़े प्रो. सामादी ने बांग्ला विभाग में व्याख्याता से सहायक प्रोफ़ेसर, एसोसिएट प्रोफ़ेसर और सन् 2002 से प्रोफ़ेसर तक विभिन्न पदों पर सफलतापूर्वक कार्य किया। वर्तमान में राजशाही विश्वविद्यालय के बांग्ला विभाग में प्रोफ़ेसर के रूप में कार्यरत हैं।
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(Udaipur Kiran) / पवन कुमार