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राज्यसभा में सागरिका घोष ने सरकार को घेरा, लगाया न्यूनतम शासन और अधिकतम प्रचार का आरोप

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान टीएमसी सांसद सागरिका घोष

नई दिल्ली, 4 फरवरी (Udaipur Kiran) । राज्यसभा में आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस की सदस्य सागरिका घोष ने मंगलवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान नरेन्द्र मोदी सरकार पर न्यूनतम शासन और अधिकतम प्रचार का आरोप लगाया।

घोष ने देश में बेरोजगारी, महंगाई और मणिपुर में सुरक्षा चुनौतियों का मुद्दा उठाते हुए सरकार की आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार पब्लिसिटी में ज्यादा भरोसा करती है। महाकुंभ भगदड़ को उन्होंने सरकार की मिनिमम गवर्नेस एंड मैक्सिमम पब्लिसिटी का नतीजा बताते हुए कहा कि बतौर पत्रकार वह 2001 और 2013 में कुंभ की कवरेज करने गई थीं, उस समय वहां इस बार के मुकाबले बहुत अच्छे प्रबंध थे। उन्होंने महाकुंभ में वीआईपी कल्चर को बढ़ावा दिए जाने की आलोचना की।

विकसित भारत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादन के बिना विकसित भारत की बात करना बेमानी है। उन्होंने शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए परीक्षा पे चर्चा और एक्जाम वारियर्स जैसे कार्यक्रमों की आलोचना की। सबका साथ सबका विकास पर व्यंग्य करते हुए उन्होंने कहा कि शीर्ष के 1 प्रतिशत लोगों का देश की 40 प्रतिशत दौलत पर कब्जा है। नीचे के 50 प्रतिशत लोगों के पास सिर्फ तीन प्रतिशत धन है। ये सबके लिए नहीं बल्कि कुछ खास लोगों के लिए विकास है।

घोष ने कहा कि देश में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए बुलडोजर राज है। इस पर सत्ता पक्ष के सदस्यों ने आपत्ति जताई, जिसके बाद पीठासीन घनश्याम तिवाड़ी ने सागरिका घोष को चेतावनी देते हुए कहा कि यह जो आप कह रही हैं, इसे आपको प्रमाणित करना होगा, तो सागरिका घोष ने कहा कि ठीक है। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेता अल्पसंख्यकों के खिलाफ सबसे ज्यादा घृणा फैलाने वाली बयानबाजी करते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार इस समय को अमृतकाल होने का दावा कर रही है लेकिन गरीबी सूचकांक और डॉलर के मुकाबले रुपये का गिरता स्तर हमें आईना दिखा रहा है। गगनयान का जिक्र कर उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष के मामले में इसरो की भूमिका सराहनीय है। उन्होंने कहा कि पेपर लीक के मामलों ने देश के नौजवानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। उन्होंने कहा कि इस अमृतकाल में उद्यमी विभिन्न जांच एजेंसियों से डरे हुए हैं। किसानों को एमएसपी के मामले पर छला गया है। उनकी उपज का दाम दोगुना किए जाने का वादा भी पूरा नहीं किया गया। वो प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कर्ज के तले दबे किसान बड़ी संख्या में आत्महत्याएं कर रहे हैं।

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(Udaipur Kiran) / दधिबल यादव

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