भरतपुर, 2 सितंबर (Udaipur Kiran) । भरतपुर और डीग जिले में लगातार खनन के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में बने मंदिरों में दरार आ गई हैं। साधु-संतों ने चेतावनी दी कि अगर सात दिन में लीज निरस्त नहीं की तो वे 40 गांव के लोगों के साथ अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे।
भरतपुर के भुसावर में पहाड़ को बचाने के लिए साधु-संत एकजुट हो गए हैं। साधु-संतों का कहना है कि अलीपुर में कालिया बाबा उर्फ काला पहाड़ एक धार्मिक पहाड़ है। हर अमावस्या को श्रद्धालु इसकी परिक्रमा करते हैं। इसे पूजने की भी मान्यता है। इसके बावजूद यहां खनन के लिए लीज आवंटित की गई हैं। पहाड़ पर खनन होने से यहां बने मंदिरों में दरारें आ गई हैं। करीब दो साल पहले भरतपुर के ही कनकांचल और आदिबद्री को वन क्षेत्र घोषित करने की मांग को लेकर साधु-संतों ने 551 दिन तक आंदोलन किया था। पसोपा गांव में संत बाबा विजय दास ने अवैध खनन के विरोध में खुद को आग लगाकर जान दे दी थी।
फटा पहाड़ आश्रम के चंद्रमा बाबा के नेतृत्व में सोमवार सुबह करीब 100 साधु-संत अलीपुर में काला पहाड़ पर इकट्ठे हुए। वे यहां से दोपहर 12:30 बजे एसडीएम ऑफिस पहुंचे। मुख्यमंत्री के नाम नायब तहसीलदार गिर्राज प्रसाद मीणा को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में संतों ने बताया कि काला पहाड़ एक धार्मिक पहाड़ है। इसके चारों ओर हनुमान भगवान की गुफा, कालिया बाबा का मंदिर, देवी माता का मंदिर समेत 60 से 70 मंदिर हैं। इनमें खनन की वजह से दरार आ गई हैं। इसी को लेकर संत समाज विरोध कर रहा है। काला पहाड़ पर खनन के लिए 13 लीज आवंटित की गई हैं, उन्हें निरस्त किया जाए। साथ ही काला पहाड़ को देवस्थान विभाग में शामिल किया जाए। खनन के कारण आसपास के गांव के लोग सिलिकोसिस बीमारी से मर रहे हैं।
साधु-संतों और ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि अगर सात दिन में उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो साधु-संत और 40 गांव के लोग अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की होगी। नायब तहसीलदार गिर्राज प्रसाद मीणा ने कहा- स्थानीय लोगों और साधु-संतों ने सीएम के नाम एक ज्ञापन दिया है। इसमें काला पहाड़ से लीज हटाने की मांग की गई है। यह ज्ञापन उच्च अधिकारियों तक पहुंचाया जाएगा और मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी। भरतपुर-अलवर-दौसा जिले की सीमा पर पथैना गांव से करीब तीन किमी दूर काला पहाड़ की तलहटी में स्थित धनेरी गुफा वाला हनुमान मंदिर आस्था का केंद्र है। ऐसा माना जाता है कि यह गुफा भगवान श्री कृष्ण-बलराम युग की है। इसे द्वारिकाधीश का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। मंगलवार, शनिवार के अलावा अमावस्या और पूर्णिमा को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।
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(Udaipur Kiran) / रोहित