
जम्मू, 12 फ़रवरी (Udaipur Kiran) । साहिब बंदगी के सद्गुरु मधुपरमहंस जी महाराज ने आज पूर्णिमा के अवसर पर राँजड़ी में अपने प्रवचनों से संगत को निहाल करते हुए कहा कि इस संसार में रहने वाले सारे इंसान एक जैसे हैं, चाहे वो किसी भी धर्म वा जाति के हों। सबकी दो आँखें हैं। सबके पैरों में पाँच-पाँच उँगलियाँ हैं। सबको भूख लगती है, सबको प्यास लगती है, सभी सुख-दुख लगता है। हम सब दिमाग से भी एक जैसे हैं। सब अपने अपने बच्चों से प्यार करते हैं। सबमें काम है, सभी में क्रोध है। सबमें अहंकार भी है।
यह इंसान एक कठपुतली है। अन्दर से एक विरोधी ताकत इसको जैसा चलाती है, यह वैसा ही करता है। यहाँ कोई भी अपनी मर्जी नहीं कर सकता है। हम सब एक शैतानी ताकत के हाथ में बँधे हैं। उसमें इतनी ताकत है कि एक साथ हम सबके दिमाग को एक ही दिशा में घुमा सकती है। हम सब उसकी कठपुतलियाँ हैं। वो ताकत हम सबको विनाश की तरफ ले जाती है। कौन है वो। वो है मन। यह सब मन कर रहा है। मन ही काल है। मन ही जीवात्मा को नचा रहा है। इंसान के जितने भी काम है, सब मानसिक हैं।
आप देखें कि क्रोध आत्मा का स्वभाव नहीं है। पर यह सबमें है। तो कोई और है न। सबमें लोभ है। आत्मा तो ऐसी नहीं है। आत्मा तो बहुत प्यारी है, बहुत निराली है। नारद जैसों को भी लोभ आ गया। सबमें मोह है। आत्मा की जैसी व्याख्या शास्त्रों में है, वैसा कुछ भी इसांन में दिख नहीं रहा है। जितने भी ऋषि, मुनि संसार में आए, सब मन के जाल में फँस गये। मन को कोई नहीं समझ पाया। वो अज्ञात ताकत सबको अपने हिसाब से नचा रही है।
जैसे पावर हाउस से जितनी बिजली छोड़ी जायेगी, उतनी ही आयेगी। पानी उतना ही आयेगी, जितना छोड़ा जायेगा। इस तरह वो ताकत जितना चाहता है, उतना पाप दुनिया में कर देता है। सब बंधे हैं। फिर छुड़ाने वाले भी ऐसे हैं, जो खुद बंधे हैं। ऐसे में छूटे कैसे। यह केवस सद्गुरु के सच्चे नाम की ताकते से छूट सकता है। यह मन और माया के का आकर्षण है। जैसे पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण सबको खींचता है। इस तरह उस ताकत में इतनी ताकत है कि एक साथ सबका दिमाग घुमा देती है। केवल सत्य नाम से जीवात्मी उस ताकत से छूटकर अपने देश अमर लोक जा सकती है। वो नाम अमर लोक की वस्तु है।
(Udaipur Kiran) / राहुल शर्मा
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