मुंबई,28 मई ( हि.स.) । ठाणे और पालघर जिले में उपेक्षित बेघर , अनाथ या सड़कों पर रहने वाले बच्चों का सर्वेक्षण कर आधार पंजीकरण के जरिए पहचान पत्र प्रदान हेतू ठाणे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से अभियान शुरू किया गया है।ठाणे जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव ईश्वर सूर्यवंशी के अनुसार 18 वर्ष से कम आयु के वे बच्चे जिनके पास परिवार का समर्थन, संरक्षकता या आश्रय, सुरक्षा और देखभाल का कोई स्थिर स्रोत नहीं है। साथ ही, सड़कों पर रहने वाले बच्चे, झुग्गी-झोपड़ियों या रेलवे स्टेशनों पर रहने वाले बच्चे, बाल देखभाल संस्थानों में रहने वाले अनाथ बच्चे, परित्यक्त बच्चे, तस्करी, आश्रय या अपंजीकृत बाल देखभाल गृहों से बचाए गए बच्चे और ऐसे सभी बच्चे जिन्हें उनके परिवारों में लिया नहीं किया गया है, उन्हें सुरक्षित करना साथी अभियान का उद्देश्य हैं।
माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली और माननीय महाराष्ट्र राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, मुंबई के निर्देशों के अनुसार, माननीय प्रधान जिला और सत्र न्यायाधीश श्रीनिवास ब्रि. अग्रवाल के मार्गदर्शन में ठाणे और पालघर जिले के वंचित बच्चों के लिए गृह मंत्रालय ( एम.ओ.एच.ए.) के तत्वावधान में 16/05/2025 को एक “जिला साथी समिति” का गठन किया गया। यह साथी अभियान 13 मई, 2025 से 15 अगस्त, 2025 तक चलेगा। जिले में उपेक्षित, बेघर, अनाथ या सड़क पर रहने वाले बच्चों का सर्वेक्षण करने और उन्हें आधार पंजीकरण के माध्यम से आधिकारिक पहचान प्रदान करने के लिए अभियान शुरू किया गया है। साथ ही, अभियान के माध्यम से न केवल वंचित बच्चों की पहचान बनाई जाएगी, बल्कि उन्हें शिक्षा, स्वास्थ्य, आश्रय और कानूनी सुरक्षा के संदर्भ में आवश्यक सेवाएं भी प्रदान की जाएंगी। साथ ही, अभियान “बाल कल्याण पहले” के सिद्धांत पर आधारित है और इसका मुख्य उद्देश्य बच्चों का सर्वांगीण पुनर्वास और विकास है। इस प्रक्रिया में कानूनी सेवा प्रणाली, स्थानीय प्रशासन, पुलिस विभाग, सामाजिक कल्याण और बाल कल्याण समितियां एक साथ काम करेंगी, सचिव ईश्वर के सूर्यवंशी ने बताया। माननीय प्रभारी सचिव एस.बी. पाटिल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, ठाणे की अध्यक्षता में ठाणे जिले के लिए गठित “जिला साथी समिति” की पहली बैठक गुरुवार, 22/05/2025 को आयोजित की गई। उक्त समिति में जिला शिक्षा अधिकारी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी, तहसीलदार, बाल संरक्षण अधिकारी, पुलिस अधिकारी, सरकारी/गैर-सरकारी संगठन जैसे बाल गृह/आश्रय/अनाथालय आदि के प्रतिनिधि शामिल हैं।
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(Udaipur Kiran) / रवीन्द्र शर्मा
