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हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के लिए सत्तापक्ष और विपक्ष ने बनाई रणनीति

शिमला, 17 दिसंबर (Udaipur Kiran) । हिमाचल प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र बुधवार से धर्मशाला के तपोवन में शुरू हो रहा है। यह सत्र चार दिन चलेगा और इस दौरान विधानसभा में करीब 450 सवाल गूंजेंगे। सत्तापक्ष कांग्रेस और विपक्षी भाजपा दोनों ने धर्मशाला में देर शाम अलग-अलग बैठकें कर अपनी रणनीतियां तैयार की हैं। सत्र के दौरान सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच जोरदार हंगामे के आसार हैं।

सत्र की शुरुआत और शून्यकाल की व्यवस्था

इस बार का शीतकालीन सत्र कुछ खास है क्योंकि इसमें पहली बार शून्यकाल की व्यवस्था शुरू की गई है। शून्यकाल के दौरान विधानसभा में कोई नया प्रस्ताव या विधेयक नहीं लाया जाएगा बल्कि यह समय केवल उन मुद्दों पर चर्चा के लिए होगा जो तुरंत समाधान की आवश्यकता रखते हैं। प्रश्नकाल के बाद आधे घंटे तक शून्यकाल का यह प्रयोग किया जाएगा। इससे विधानसभा की कार्यवाही में पारदर्शिता और सहभागिता बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है।

इस सत्र के दौरान एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सत्र के अंतिम दो दिनों में विधानसभा में उपस्थित नहीं रहेंगे। हिमाचल के बाहर महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेने की वजह से वह 20 व 21 दिसम्बर को सदन में मौजूद नहीं रहेंगे। मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री सत्तापक्ष का नेतृत्व करेंगे। इससे सरकार के संचालन में कोई विघ्न न पड़े, इसके लिए पार्टी ने अपनी रणनीति पहले ही तैयार कर ली है।

सत्तापक्ष और विपक्ष की रणनीतियां

सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने विधानसभा सत्र को लेकर अपनी-अपनी रणनीतियां तैयार कर ली हैं। सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों ने अपने-अपने विधायक दलों की बैठकें आयोजित की हैं, जिनमें सत्र के दौरान उठाए जाने वाले प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई। कांग्रेस ने अपने विधायकों को गारंटी मुद्दे पर पार्टी के पक्ष में मजबूती से खड़ा रहने की सलाह दी है, जबकि भाजपा ने अपने नेताओं को सरकार के खिलाफ हल्ला बोलने के लिए तैयार किया है।

सत्तापक्ष की रणनीति सरकार की उपलब्धियों और गारंटी के तहत किए गए वादों को लागू करने पर आधारित होगी। वहीं विपक्ष गारंटियों को पूरा न करने सहित बेरोजगारी, खनन, नशा तस्करी व कानून व्यवस्था इत्यादि मुद्दों पर इस सत्र में कांग्रेस सरकार को घेरने के लिए तैयार है। भाजपा कांग्रेस सरकार से उन गारंटियों का हिसाब मांगेगी, जो विधानसभा चुनाव से पहले जनता से किए गए थे। भाजपा आरोप लगाएगी कि सरकार ने इन गारंटियों को पूरी तरह से लागू नहीं किया है। भाजपा नेता यह दावा करेंगे कि सरकार ने रोजगार सृजन में कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं और बेरोजगारों में भारी आक्रोश है। इसके अलावा राज्य में महंगाई और अन्य मुद्दे भी भाजपा द्वारा उठाए जाने की संभावना है। सत्र में भाजपा राज्यपाल को हाल ही में सौंपे गए 18 आरोपों को लेकर भी कांग्रेस सरकार की घेराबंदी करने वाली है।

कांग्रेस सरकार अपने दो साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को सत्र में प्रस्तुत करेगी। कांग्रेस का कहना है कि राज्य में विकास की गति तेज हुई है और उन्होंने जनता के कल्याण के लिए कई योजनाएं लागू की हैं। इसके अलावा कांग्रेस यह भी दावा करेगी कि उन्होंने किसानों, मजदूरों, महिलाओं और युवाओं के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। सरकार विधानसभा में अपने इन कदमों को पेश करके विपक्ष को जवाब देने की कोशिश करेगी। शीत सत्र में सीपीएस से हटाए गए छह कांग्रेस विधायक पहली बार सवाल पूछेंगे।

शीतकालीन सत्र के दौरान कुछ अहम विधायिक मुद्दे भी चर्चा में रहेंगे। इनमें से दो महत्वपूर्ण विधेयक हैं – हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग संशोधन एक्ट 2024 और हिमाचल प्रदेश यात्री एवं मालभाड़ा संशोधन एक्ट 2024। इन दोनों विधेयकों को सत्र में पारित किया जाएगा। भोटा स्थित राधास्वामी अस्पताल को विशेष रूप से इस संशोधन से राहत मिलेगी क्योंकि अस्पताल की भूमि के स्थानांतरण को लेकर कुछ विवाद था और इस संशोधन के बाद अस्पताल को अपनी गतिविधियों को सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलेगी।

वहीं हिमाचल प्रदेश यात्री एवं मालभाड़ा संशोधन एक्ट 2024 का उद्देश्य राज्य में यात्री और माल परिवहन की व्यवस्था को और अधिक सुव्यवस्थित करना है। यह विधेयक राज्य में परिवहन क्षेत्र के विकास में मदद करेगा और मालवाहन को लेकर कई अहम बदलाव करेगा।

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(Udaipur Kiran) / उज्जवल शर्मा

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