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आरएसएस ने की बांग्लादेश के हिंदू समाज के साथ एकजुटता की अपील

आरएसएस ने की बांग्लादेश के हिन्दू समाज के साथ एकजुट होने की अपील की।

गुवाहाटी, 26 मार्च (Udaipur Kiran) । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा लगातार हो रहे हिंसा, अन्याय और उत्पीड़न पर गहरी चिंता व्यक्त की है। संघ ने इसे मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन बताया है। यह मुद्दा बेंगलुरु के जनसेवा विद्या केंद्र में 21 से 23 मार्च तक आयोजित आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में उठाया गया, जहां बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया गया।

प्रतिनिधि सभा के प्रस्तावों के संबंध में आज गुवाहाटी के पलटन बाजार स्थित केशवधाम में आरएसएस उत्तर असम प्रांत द्वारा आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में उत्तर असम प्रांत के कार्यवाह खगेन सैकिया, उत्तर असम प्रांत के प्रचार प्रमुख किशोर शिवम, उत्तर असम प्रांत के कार्यवाह डॉ. भूपेश शर्मा ने प्रकाश डाला।

सैकिया ने बताया कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के समय विशेष रूप से हिंदू मंदिरों, दुर्गा पूजा पंडालों और शिक्षण संस्थानों पर हमले होते हैं। इसके अलावा, मंदिरों की मूर्तियां तोड़ी जाती हैं, निर्दोष लोगों की नृशंस हत्याएं की जाती हैं, संपत्ति लूटी जाती है, महिलाओं का अपहरण कर उनका यौन उत्पीड़न किया जाता है और जबरन धर्मांतरण की घटनाएं भी सामने आती हैं।

संघ ने स्पष्ट किया कि इन घटनाओं को केवल राजनीतिक हिंसा कहकर उनके धार्मिक पहलुओं को नजरअंदाज करना सच्चाई को छिपाने के समान होगा, क्योंकि पीड़ितों में बहुसंख्यक हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हैं। बांग्लादेश में अनुसूचित जाति और जनजाति के हिंदुओं पर इस्लामी कट्टरपंथियों द्वारा किया जा रहा उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है। 1951 में बांग्लादेश में हिंदुओं की जनसंख्या 22 प्रतिशत थी, जो अब घटकर मात्र 7.95 प्रतिशत रह गई है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि वहां हिंदुओं के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है।

पिछले वर्ष हुई हिंसा और नफरत की घटनाओं को सरकार द्वारा मिली कथित मौन सहमति भी चिंताजनक है। इसके अतिरिक्त, बांग्लादेश की ओर से लगातार भारत विरोधी बयानबाजी दोनों देशों के संबंधों को गहरा नुकसान पहुंचा सकती है। संघ का मानना है कि कुछ अंतरराष्ट्रीय शक्तियां जानबूझकर भारत के पड़ोसी देशों में अविश्वास और संघर्ष का माहौल बनाकर दोनों देशों के बीच अशांति फैलाना चाहती हैं।

आरएसएस की प्रतिनिधि सभा ने अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञों से अपील की है कि वे इस भारत विरोधी माहौल और पाकिस्तान जैसे देशों की ‘डीप स्टेट’ की सक्रियता पर नजर रखें और इसे उजागर करें। सभा ने इस बात पर भी बल दिया कि भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध रहे हैं, इसलिए एक स्थान पर हुई अशांति पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है।

संघ ने यह भी स्वीकार किया कि बांग्लादेश के हिंदू समाज ने इन अत्याचारों के विरुद्ध शांतिपूर्ण, संगठित और लोकतांत्रिक तरीके से विरोध प्रकट किया है। भारत और विश्वभर के हिंदू संगठनों ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं के समर्थन में आंदोलन और विरोध प्रदर्शन किए हैं। संघ ने भारत सरकार की भी सराहना की, जिसने बांग्लादेश के हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सम्मान की आवश्यकता को बार-बार दोहराया है। भारत सरकार ने इस मुद्दे को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठाया है।

आरएसएस की प्रतिनिधि सभा ने भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह बांग्लादेश सरकार के साथ निरंतर संवाद बनाए रखे और वहां के हिंदू समुदाय की सुरक्षा, सम्मान और शांतिपूर्ण जीवन सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास करे।

इसके अलावा, सभा ने संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी अपील की है कि वे बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अमानवीय कृत्यों को गंभीरता से ले और इन हिंसक गतिविधियों को रोकने के लिए बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाएं।

सभा ने हिंदू समुदाय के नेताओं और विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों से भी अनुरोध किया कि वे बांग्लादेशी हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के समर्थन में आवाज उठाएं।

संघ ने कहा कि आरएसएस का संकल्प है कि सभी प्रकार के भेदभाव को नकारते हुए समरसता युक्त आचरण और प्रकृति के अनुकूल जीवनशैली को अपनाकर एक मूल्य-आधारित समाज का निर्माण किया जाए।

आरएसएस का मानना है कि यदि समाज में सभी नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति जागरूक होंगे और एकता व समरसता के सिद्धांतों को अपनाएंगे, तो भारत न केवल भौतिक रूप से समृद्ध होगा, बल्कि आध्यात्मिक रूप से भी समृद्ध राष्ट्र के रूप में खड़ा होगा।

सभा ने सभी स्वयंसेवकों और समाज के प्रबुद्ध जनों से आह्वान किया कि वे सज्जन शक्तियों के नेतृत्व में पूरे समाज को साथ लेकर चलें और विश्व के समक्ष एक संगठित, समरस और सशक्त भारत का उदाहरण प्रस्तुत करने के लिए प्रतिबद्ध हों।

(Udaipur Kiran) / देबजानी पतिकर

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