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आरएस बाली पंहुचे सेक्रेड हार्ट स्कूल,  वार्षिक उत्सव में स्कूल से जुड़ी यादों को किया सांझा

स्कूल स्टाफ के साथ आरएस बाली।
बच्चों के साथ आरएस बाली।

धर्मशाला, 18 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली ने कहा कि शिक्षक और स्कूल का माहौल विद्यार्थी के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास कर उसमे अच्छे मूल्यों और आदर्शों को विकसित करता है जिससे कि वो आगे चलकर देश के उत्तम नागरिक बनें और देश की उन्नति एवं विकास में अपना योगदान दे सकें।

शुक्रवार को सिद्वबाड़ी में सेके्रट हार्ट स्कूल के वार्षिक उत्सव में बतौर मुख्यातिथि पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली ने कहा कि शिक्षकों के कन्धों पर बहुत बड़ा उत्तरदायित्व होता है। वास्तव में, वे ही देश के भाग्य-निर्माता होते हैं। उन्होंने कहा कि सही मायनों में कहा जाए तो एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है और शिक्षक ही समाज की आधारशिला है। एक शिक्षक अपने जीवन के अंत तक मार्गदर्शक की भूमिका अदा करता है और समाज को राह दिखाता रहता है, तभी शिक्षक को समाज में उच्च दर्जा दिया जाता है।

बाली ने स्कूल से जुड़ी यादों को किया सांझा

इस अवसर पर सेके्रट हार्ट स्कूल से जुड़ी अपने यादों को सांझा करते हुए पर्यटन निगम के अध्यक्ष आरएस बाली ने कहा कि वार्षिक उत्सव के माध्यम से उनको पहली बार मंच मिला तथा अपनी प्रतिभा को दिखाने का मौका मिला इसी तरह से वार्षिक उत्सव हर विद्यार्थी के टेलेंट को निखारते हैं तथा आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं। उन्होंने कहा कि वार्षिक उत्सव अपने बच्चों की प्रस्तुतियां देखकर अभिभावकों के लिए सबसे गौरवशाली क्षण होते हैं। उन्होंने कहा कि इसी स्कूल के वार्षिक उत्सव में जब एक विद्यार्थी के रूप में जब परफार्म करते थे तो उनके अभिभावकों को सबसे ज्यादा प्रसन्नता होती थी आज उसी तरह से सेके्रट हार्ट स्कूल में अपने बेटे रियान बाली का परफार्मेंस देखकर पुराने दिनों की यादें ताजा हो गई।

पर्यटन निगम के अध्यक्ष कैबिनेट रैंक आरएस बाली ने सेके्रट हार्ट का पूर्व विद्यार्थी होने के नाते अपनी नेक कमाई से स्कूल के विकास के लिए 21 लाख स्वीकृत कर मिसाल कायम की है। आरएस बाली ने कहा कि किसी भी विद्यार्थी की सफलता में गुरूजनों और स्कूल का अहम योगदान रहता है। स्कूल में दिए गए संस्कार एवं शिक्षा अनमोल होती है और आज जो कुछ भी हूं शिक्षकों के आशीर्वाद से हासिल कर पाया हूं।

(Udaipur Kiran) / सतिंदर धलारिया

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