
प्रयागराज, 26 मई (Udaipur Kiran) । आर.पी. भटनागर का नाम इलाहाबाद की क्रिकेट विरासत में गहराई से जुड़ा हुआ है। वे एक सच्चे खेल प्रेमी हैं और आज 84 वर्ष की आयु में भी उसी ऊर्जा और उत्साह के साथ जीवन जीते हैं, जैसा कि उनके क्रिकेट के दिनों में हुआ करता था। वे उस बीते दौर से ताल्लुक रखते हैं, जिसकी पीढ़ी अब लगभग समाप्त हो चुकी है। इलाहाबाद क्रिकेट के शुरुआती दिनों की उनकी यादें और अनुभव आज भी प्रेरणादायक हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मार्गदर्शक का कार्य करते हैं।
उनका क्रिकेट सफर 1959-60 में के.पी इंटर कॉलेज की क्रिकेट टीम के कप्तान के रूप में शुरू हुआ। इसके बाद 1960-ृ61 में वे सी.एम.पी. डिग्री कॉलेज की टीम के कप्तान बने। इसके पश्चात 1961-62 और 1962-63 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय की टीम का प्रतिनिधित्व किया। 23 जुलाई 1963 को उन्होंने ए.जी.यू.पी. (लेखा महानियंत्रक, उत्तर प्रदेश) में नौकरी जॉइन की और वहां की क्रिकेट टीम के लिए खेलते हुए कप्तानी भी की।
वर्ष 1964-65 में वे इलाहाबाद जिला क्रिकेट टीम के कप्तान बने और उसी वर्ष उन्होंने उत्तर प्रदेश रणजी ट्रॉफी टीम का प्रतिनिधित्व भी किया। अपने खेल जीवन के बाद उन्होंने चयनकर्ता के रूप में भी क्रिकेट में योगदान दिया और 1998 से 2003 तक उत्तर प्रदेश रणजी ट्रॉफी टीम के चयनकर्ता रहे। उनका योगदान सिर्फ खेल तक सीमित नहीं रहा, उन्होंने क्रिकेट के संगठन और प्रबंधन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे 1977 से 1995 तक इलाहाबाद के मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में आयोजित “अखिल भारतीय लाल बहादुर शास्त्री क्रिकेट टूर्नामेंट“ के महासचिव रहे, जिसमें देश के प्रमुख टेस्ट खिलाड़ियों ने भाग लिया। 26 फरवरी 1984 को उन्होंने “विलियम घोष बेनिफिट क्रिकेट मैच“ का आयोजन किया, जिसमें पाकिस्तान के कप्तान इमरान खान ने भाग लिया और मंसूर अली खान पटौदी ने टेस्ट अंपायर स्वरूप किशन के साथ एक घंटे तक अंपायरिंग की। इसके बाद ऑल इंडिया पैनल अंपायर टी.डी मुखर्जी ने अंपायरिंग की जिम्मेदारी संभाली।
उन्होंने 2006-07 से 2019-20 तक लगातार “अखिल भारतीय न्यायमूर्ति एस.एन. द्विवेदी क्रिकेट टूर्नामेंट“ का आयोजन किया, जिसमें देश की प्रमुख टीमें भाग लेती थीं। वे 1970-71 से इलाहाबाद क्रिकेट संघ की कार्यकारिणी समिति के निर्वाचित सदस्य रहे और 1985 में वे इलाहाबाद क्रिकेट संघ के समन्वयक बने।
समन्वयक के रूप में उन्होंने 1997 में इलाहाबाद के मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में उत्तर प्रदेश बनाम विदर्भ रणजी ट्रॉफी मैच का आयोजन किया। उन्होंने विजय मर्चेंट अंडर-16 बोर्ड ट्रॉफी के कई मुकाबलों की भी सफल मेज़बानी की। जिसमें दिसम्बर 2015 में उत्तर प्रदेश बनाम राजस्थान, दिसम्बर 2017 में उत्तर प्रदेश बनाम छत्तीसगढ़ और अक्टूबर 2018 में उत्तर प्रदेश बनाम मध्य प्रदेश रहा।
30 जून 2001 को ए.जी.यू.पी से सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की। वकील रहते हुए भी क्रिकेट से उनका प्रेम बरकरार रहा और उन्होंने “मुख्य न्यायाधीश एस.के वर्मा क्रिकेट टूर्नामेंट“ का आयोजन किया, जो मुख्य न्यायाधीश एकादश और वरिष्ठ अधिवक्ता एकादश के बीच खेला जाता था।
वर्तमान में आर.पी भटनागर इलाहाबाद क्रिकेट संघ के निदेशक के रूप में कार्य कर रहे हैं और निरंतर क्रिकेट को अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। उनका जीवन इस बात का उदाहरण है कि जुनून, समर्पण और दूरदर्शिता कैसे एक स्थायी विरासत का निर्माण कर सकते हैं। उन्होंने न केवल अनगिनत खिलाड़ियों को आगे बढ़ाया, बल्कि इलाहाबाद को भारतीय क्रिकेट के मानचित्र पर एक प्रमुख स्थान भी दिलाया।
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(Udaipur Kiran) / विद्याकांत मिश्र
