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हरिद्वार, 10 नवंबर (Udaipur Kiran) । हिन्दू धर्म में सामान्यतः महिलाएं श्मशान तक नहीं जातीं। यदि जाती भी हैं तो वे दाह संस्कार की क्रिया से दूर रहती हैं। मगर रुड़की की शालू सैनी ने समाजसेवा की एक ऐसी मिसाल पेश की है, जो अपने आप में अनोखी है।
सड़क पर ठेली लगाकर अपने बच्चों का भरण पोषण करने वाली शालू लावारिस शवाें का अंतिम संस्कार भी करती है।रविवार काे रुड़की सिविल लाइन कोतवाली की सूचना पर शालू ने एक लावारिस शव का अंतिम संस्कार किया है।
मुजफ्फरनगर से रुड़की आकर यहां बसी शालू सड़क पर ठेली लगाकर अपने बच्चों का गुजारा करती है, जो बचता है, उसे लावारिस शवाें के अंतिम संस्कार की सेवा में लगा देती है। उसके इस कार्य में समाज के लोग भी सहयोग करते हैं। शालू ने बताया कि वह अब तक सैकड़ों लावारिस शवाें का अंतिम संस्कार कर चुकी है। आज सिविल लाइन कोतवाली पुलिस की सूचना पर उसने एक लावारिस मृतक का विधिविधान से अंतिम संस्कार किया। शालू सैनी ने बताया कि ईश्वर की प्रेरणा से ही मैं यह कार्य कर पाती है।लावारिस शवाें के अंतिम संस्कार में हाेने वाले खर्च में कुछ लाेग सहयाेग करते हैं,
क्योंकि उसकी खुद की इतनी सामर्थ्य नहीं है। शालू ने सम्पन्न लोगों से लावारिस लाेगाें के अंतिम संस्कार की सेवा में सहयोग करने की अपील की है।
सिंगल मदर शालू सड़क पर ठेली लगाकर अपने बच्चों का भरण पाेषण करती है। अपनी इस अनाेखी समाज सेवा के लिए आज शालू सैनी नगर में परिचय की मोहताज नही है। लावारिसों की वारिस शालू सैनी के नाम से रुड़की में अपनी पहचान है।
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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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