Uttrakhand

दिव्यांग जनों के अधिकार और सामाजिक धारणाएं: दून पुस्तकालय में विमर्श

दून पुस्तकालय में आयाेजित कार्यक्रम में विचार व्यक्त करते वक्ता।

देहरादून, 23 फरवरी (Udaipur Kiran) । दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र ने दिव्यांग जनों के अधिकार अधिनियम 2016 बनाम सांस्कृतिक धारणाओं के संदर्भ में सामाजिक विकास पर एक विमर्श का आयोजन किया। इस चर्चा में नागरिक समाज संगठनों, ग्रामीण और कृषक समुदायों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों, मीडिया कर्मियों, शिक्षकों, छात्रों, शोधार्थियों और ग्राम पंचायत सदस्यों ने भाग लिया।

वक्ताओं ने अपने कार्य अनुभवों के आधार पर दिव्यांग जनों की स्थिति को सुधारने और उनके समावेशन के लिए ठोस पहल की आवश्यकता पर जोर दिया। चर्चा के प्रतिभागियों का मानना था कि दिव्यांगता को लेकर समाज में व्याप्त धारणाएं और अपर्याप्त संसाधन, उनकी क्षमता के पूर्ण उपयोग में बाधा बनते हैं।

इस चर्चा का प्रमुख उद्देश्य यही है कि ग्रामीण संदर्भों में दिव्यांगता और समावेशन की सूक्ष्म समझ को बढ़ावा देकर ग्रामीण और स्वदेशी विचारों को मुख्य धारा में लाया जाय। वक्ताओं ने भौगोलिक, सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक विविधता को ध्यान में रखकर एक प्रासंगिक, समावेशी और अंतर-विषयक दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया।

चर्चा की अध्यक्षता विवेकानंद नेत्रालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप घिल्डियाल ने की। उन्होंने कहा कि दिव्यांगता के प्रति हमें अपनी सामाजिक नजरिए को बदलना होगा। उनके प्रति हमें संवेदनशील बनना होगा। परिवार और स्कूल से ही इन लोगों के प्रति सकारात्मक रुख अपनाकर उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में समुचित प्रयास किये जाने की जरुरत है।

सामाजिक कार्यकर्ता व आजीविका, शिक्षा, कृषि, सामुदायिक रेडियो और प्रकृति संरक्षण के अरुण सरकार, देशी बीज, कृषि-ज्ञान और जल निकायों की कार्यकर्ता वेद अमृता, शामिल रहीं। इसके अलावा इस महत्वपूर्ण चर्चा में अवधेश के. शर्मा, वन गुज्जरों के सशक्तीकरण कार्यकर्ता सुंदर थापा, सामाजिक कार्यकर्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि कार्यक्रम में शामिल रहे।

(Udaipur Kiran) / Vinod Pokhriyal

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