कोलकाता, 3 सितंबर (Udaipur Kiran) । आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में मारी गई डॉक्टर की मां ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और राज्यपाल सहित देश के विभिन्न उच्च पदाधिकारियों को पत्र लिखकर न्याय की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि इस दुखद घटना के पीछे अस्पताल के अंदर के ही कुछ लोग शामिल हैं।
मृतका की मां ने अपने पत्र में लिखा, हमारी बेटी बचपन से ही डॉक्टर बनने का सपना देख रही थी। क्या इसलिए कि वह एक लड़की थी, उसके डॉक्टर बनने के सपने को बेरहमी से कुचल दिया गया? इस निर्मम, अमानवीय और राक्षसी कृत्य को अंजाम दिया गया और उसके सपनों का गला घोंट दिया गया। जो लोग इस घटना में शामिल थे, उन्होंने सबूत मिटाने और मामले को दबाने की पूरी कोशिश की।
उन्होंने आगे बताया कि घटना की रात 11:15 बजे उनकी बेटी से आखिरी बार बात हुई थी, जब वह हंसते हुए सामान्य तरीके से बात कर रही थी। लेकिन अगले ही दिन सुबह उन्हें सूचना मिली कि उनकी बेटी अब नहीं रही। उन्होंने कहा, हमें अस्पताल प्रशासन की ओर से सुबह 10:53 बजे पहला फोन आया और कहा गया कि आपकी बेटी बीमार है, आप जल्दी आ जाएं। हम तुरंत अस्पताल के लिए निकले। रास्ते में फिर फोन आया—’आपकी बेटी ने आत्महत्या कर ली है। आप जल्दी आ जाएं। यह सुनते ही हमारे ऊपर जैसे पहाड़ टूट पड़ा।
जब वे अस्पताल पहुंचे तो एक सुरक्षा गार्ड उन्हें चेस्ट मेडिसिन विभाग ले गया। वहां पहुंचने पर वे अपनी बेटी को देखने के लिए आग्रह करते रहे, लेकिन उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया। उन्होंने कहा, हमने अधिकारियों से हाथ जोड़कर विनती की कि हमें एक बार अपनी बेटी को देखने दें, लेकिन हमें मना कर दिया गया। अस्पताल प्रशासन की ओर से कोई भी हमारे साथ घटना पर चर्चा करने नहीं आया। लगभग तीन घंटे की प्रतीक्षा के बाद हमें अंदर जाने की अनुमति दी गई।
मृतक की मां का कहना है कि जब उन्होंने अपनी बेटी का शव देखा तो उन्हें लगा कि पूरे मामले को उनके सामने एक कहानी की तरह प्रस्तुत किया जा रहा है। उन्होंने कहा, घटना के बाद वहां जो कुछ हुआ, उसे देखते हुए ऐसा नहीं लग रहा था कि किसी गंभीर घटना के साक्ष्य को बचाया गया था। जिस जगह अपराध हुआ था, वहां भी कोई विशेष सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए गए थे।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उनकी बेटी का शव वो कुछ देर रखना चाहते थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन के दबाव के कारण वे ऐसा नहीं कर सके।
उन्होंने कहा कि, जब तक मेरी बेटी का शव चिता में प्रवेश नहीं किया गया, तब तक पुलिस की सक्रियता बनी रही, उसके बाद वे वहां से चले गए।
उन्होंने उच्चाधिकारियों से निवेदन किया है कि इस मामले की जांच जल्द से जल्द पूरी कर दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए, ताकि उनकी बेटी की आत्मा को शांति मिल सके और माता-पिता के दिल को कुछ सुकून मिल सके।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर