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आरजी कर : सीबीआई को क्राइम सीन के पास हुए रिनोवेशन से जुड़े दस्तावेज मिले

आरजी कर अस्पताल में फिर पहुंचे सीबीआई अधिकारी

कोलकाता, 30 अगस्त (Udaipur Kiran) । आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में इस महीने की शुरुआत में एक जूनियर डॉक्टर के रेप और मर्डर मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों को उस स्थान के पास रिनोवेशन से जुड़ी कुछ अहम जानकारियां मिली हैं, जहां से पीड़िता का शव बरामद हुआ था।

13 अगस्त की शाम को जब कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ ने रेप केस की जांच कोलकाता पुलिस से लेकर सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया तो राज्य लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के कर्मियों ने घटना स्थल के पास एक कमरे में रिनोवेशन का प्रयास किया। यह कमरा सेमिनार हॉल के बगल में था, जहां से नौ अगस्त की सुबह पीड़िता का शव बरामद किया गया था।

हालांकि, रिनोवेशन का काम छात्रों के भारी विरोध के कारण नहीं हो सका, जिन्होंने इस कार्य के शुरू होते ही अस्पताल परिसर में प्रदर्शन किया। सूत्रों के अनुसार जांच अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण दस्तावेज मिला है, जिसमें दिखाया गया है कि रिनोवेशन के कार्यों के लिए निर्देश 10 अगस्त को दिए गए थे, जो कि पीड़िता का शव मिलने के एक दिन बाद की बात है।

जांचकर्ताओं द्वारा एक्सेस किए गए दस्तावेज़ों के अनुसार सूत्रों का कहना है कि यह निर्देश अस्पताल के एक पूर्व वरिष्ठ डॉक्टर द्वारा दिया गया था, जो प्रशासनिक पद पर भी थे और जिन्हें रेप और मर्डर की घटना के बाद स्थानांतरित कर दिया गया था। वह डॉक्टर आरजी कर कॉलेज के पूर्व और विवादास्पद प्रिंसिपल संदीप घोष के बेहद करीबी माने जाते हैं।

अब सीबीआई अधिकारी यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या वरिष्ठ डॉक्टर ने यह निर्देश अपने आप दिया था या किसी के सुझाव पर दिया था। साथ ही केंद्रीय एजेंसी के अधिकारी उस रहस्य का भी पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि पीड़िता के शव को जल्दबाजी में जलाने का आदेश क्यों दिया गया, बजाय इसके कि उसे अस्पताल के मुर्दाघर में सुरक्षित रखा जाता ताकि जरूरत पड़ने पर या पीड़िता के परिवार के सदस्यों की मांग पर दूसरा पोस्टमॉर्टम किया जा सके।

गुरुवार दोपहर को सीबीआई की एक टीम अस्पताल पहुंची और कुछ अस्पताल कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछताछ की, जिनके निर्देश पर शव को जलाने की व्यवस्था की गई थी। साथ ही घोष से भी पूछताछ की जा रही है कि मेडिकल कॉलेज के प्रमुख के रूप में उन्होंने शव को मुर्दाघर में सुरक्षित रखने का निर्देश क्यों नहीं दिया, ताकि जरूरत पड़ने पर दूसरा पोस्टमॉर्टम किया जा सके।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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