कोलकाता, 16 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की महिला चिकित्सक की हत्या और बलात्कार के मामले में न्याय की मांग करते हुए भूख हड़ताल पर बैठे जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल बुधवार को 12वें दिन भी जारी रही। डॉक्टरों की प्रमुख मांग है कि उन्हें कार्यस्थल पर सुरक्षा मिले और दोषियों को सख्त सजा दी जाए।
उत्तर बंगाल मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टर सौरव दत्ता, जो पांच अक्टूबर से भूख हड़ताल पर थे, को मंगलवार शाम को तबियत बिगड़ने पर जलपाईगुड़ी के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्हें अस्पताल के सीसीयू में इलाज किया जा रहा है। वहीं, मंगलवार को स्पंदन चौधरी और रुमेलिका कुमार भी भूख हड़ताल में शामिल हुए।
मंगलवार को आयोजित ‘द्रोहेर कार्निवाल’ को सफल बताते हुए, जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि इस प्रदर्शन ने आम जनता समेत कई लोगों को उनकी आवाज़ से जोड़ने में मदद की। बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अब वे अपने आंदोलन को और तेज़ करेंगे ताकि प्रशासन को यह एहसास हो सके कि वे अभी भी अपनी लड़ाई के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
एक आंदोलनकारी डॉक्टर, देबाशीष हालदार ने कहा, कल दुनिया ने देखा कि लोग न्याय पाने के लिए कितने उत्सुक हैं। हमें खुशी है कि इतने सारे लोग, खासकर आम जनता, हमारे इस नेक उद्देश्य के साथ हैं। इससे हमें अपनी लड़ाई को जारी रखने की प्रेरणा मिल रही है। अब हम अपने आंदोलन को और मजबूती से आगे बढ़ाएंगे ताकि प्रशासन को हमारी शक्ति का एहसास हो सके।
डॉक्टरों की सेहत लगातार बिगड़ रही है। प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो वे इसके लिए पूरी तरह तैयार हैं और अपने साथी डॉक्टरों के लिए अपनी जान भी देने को तैयार हैं।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों की अन्य मांगों में राज्य के सभी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के लिए एक केंद्रीकृत रेफरल सिस्टम की स्थापना, बिस्तर की स्थिति पर नजर रखने वाली प्रणाली का कार्यान्वयन और कार्यस्थल पर सीसीटीवी, ऑन-काल रूम और वॉशरूम जैसी जरूरी सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए टास्क फोर्स का गठन शामिल है। इसके साथ ही वे अस्पतालों में पुलिस सुरक्षा बढ़ाने, स्थायी महिला पुलिसकर्मियों की भर्ती और डॉक्टर, नर्स व अन्य स्वास्थ्यकर्मियों के रिक्त पदों को जल्द भरने की भी मांग कर रहे हैं।
नौ अगस्त को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक महिला चिकित्सक के साथ हुए बलात्कार और हत्या के बाद से डॉक्टरों ने काम बंद कर विरोध प्रदर्शन शुरू किया था। उन्होंने 42 दिन बाद 21 सितंबर को राज्य सरकार द्वारा उनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन मिलने के बाद अपना आंदोलन समाप्त किया था।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर