कोलकाता, 27 दिसंबर (Udaipur Kiran) । आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में गत अगस्त में एक जूनियर डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या के मामले में केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पोस्टमार्टम प्रक्रिया के दौरान गोपनीयता और मानक प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया गया, जिससे मामले की गंभीरता और बढ़ गई है।
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि पोस्टमार्टम हॉल में कई लोग मौजूद थे, जिनमें से कुछ ने अपने मोबाइल से तस्वीरें और वीडियो बनाए। यह कदम न केवल प्रोटोकॉल का उल्लंघन है, बल्कि मृतक की गरिमा के प्रति भी असंवेदनशीलता दर्शाता है।
सीएफएसएल रिपोर्ट के अनुसार, मृतक के शरीर के चोटों का विवरण मृत घोषित करने तक ही सीमित था। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चोटों की विस्तृत जांच का अभाव स्पष्ट रूप से दिखता है।
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केवल सिविक वॉलेंटियर ही अपराध में शामिल?
सीएफएसएल ने इस बात पर जोर दिया है कि अपराध में केवल एक आरोपित के शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन इस संभावना की पुष्टि के लिए और शोध की आवश्यकता है। इसके तहत पुराने वैज्ञानिक अध्ययनों और इसी प्रकार के मामलों की तुलना करके यह पता लगाया जा सकता है कि अपराध में अन्य लोग भी शामिल थे या नहीं।
अब तक की जांच और सीबीआई की कार्रवाई
इस मामले में अब तक केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सिर्फ एक आरोप पत्र दाखिल किया है। इसमें नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को बलात्कार और हत्या का मुख्य आरोपित बताया गया है।
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घटना स्थल पर संघर्ष के प्रमाण नहीं
घटना के दिन, नौ अगस्त को, पीड़िता का शव अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया था। इसे ही घटना स्थल माना गया और पहले कोलकाता पुलिस और बाद में सीबीआई ने जांच की। हालांकि, सीएफएसएल की रिपोर्ट में कहा गया है कि सेमिनार हॉल में संघर्ष के कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिले।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि मृतका के शरीर पर पाई गई अधिकांश चोटें बलात्कार के खिलाफ प्रतिरोध करने के दौरान लगी थीं।
यह खुलासा न केवल अस्पताल प्रशासन की विफलता को उजागर करता है, बल्कि पोस्टमार्टम प्रक्रिया की गंभीर खामियों पर भी सवाल खड़े करता है।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर