West Bengal

आरजी कर कांड : सजा के ऐलान से पहले जल्लाद ने कहा -संजय को फांसी पर लटकाने में खुशी होगी

आर.जी. कर अस्पताल के आरोपित सिविक वॉलंटियर संजय रॉय

कोलकाता, 20 जनवरी (Udaipur Kiran) । आर.जी. कर अस्पताल के डॉक्टर की हत्या के दोषी संजय को फांसी की सजा दी जा सकती है। शनिवार को सियालदह अदालत के न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने संजय को दोषी ठहराते हुए कहा था कि इस अपराध में उसे अधिकतम मृत्युदंड हो सकता है। जल्लाद महादेव मल्लिक, जो प्रख्यात जल्लाद नाटा मल्लिक के बेटे हैं, ने कहा कि अगर संजय को फांसी देने का आदेश आता है, तो वह बिना किसी झिझक यह काम करेंगे।

महादेव मल्लिक, जो वर्तमान में कोलकाता नगर निगम में कार्यरत हैं, ने कहा कि अगर सरकार मुझे बुलाएगी, तो मैं फांसी देने के लिए तैयार हूं। मैंने अपने पिता से यह काम सीखा है, और मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं होगी। मेरे हाथ और दिल, दोनों नहीं कांपेंगे।

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बंगाल की आखिरी फांसी में भी की थी मदद

महादेव ने यह भी बताया कि उन्होंने 2004 में धनंजय चटर्जी को फांसी देने में अपने पिता की सहायता की थी। यह पश्चिम बंगाल में अब तक की आखिरी फांसी थी। महादेव ने कहा कि यह काम हर कोई नहीं कर सकता। मुझे बुलाया जाएगा, तो मैं जाऊंगा।

महादेव ने डॉक्टर की निर्मम हत्या पर गहरा आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि डॉक्टर तो हमारे लिए भगवान होते हैं। वह लोगों की जान बचाते हैं। ऐसे लोगों को मारने वालों के प्रति कोई दया नहीं होनी चाहिए।

महादेव ने इस बात पर भी संदेह जताया कि संजय ने यह अपराध अकेले किया होगा। उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि संजय अकेला इस कांड को अंजाम दे सकता है। और भी लोग इसमें शामिल हो सकते हैं, लेकिन वे पकड़े नहीं गए हैं।

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फांसी की प्रक्रिया और अपील का अधिकार

अगर सोमवार को अदालत संजय को फांसी की सजा सुनाती है, तो यह तुरंत लागू नहीं होगी। संजय निचली अदालत के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दे सकता है। हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ वह डिवीजन बेंच और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जा सकता है। अगर सुप्रीम कोर्ट भी फांसी की सजा को बरकरार रखता है, तो संजय के पास अंतिम विकल्प राष्ट्रपति से दया याचिका का होगा।

अगर राष्ट्रपति से भी दया याचिका खारिज हो जाती है, तो फांसी की सजा देने के लिए महादेव मल्लिक को बुलाया जाएगा। महादेव का कहना है कि वह पूरी तरह तैयार हैं। सोमवार को सियालदह अदालत में इस मामले में अंतिम फैसला होगा, जिस पर पूरे राज्य की नजर टिकी हुई है।

(Udaipur Kiran) / ओम पराशर

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