—सामाजिक संगठनों की बैठक में बोले वक्ता,विशेषज्ञों ने शास्त्री घाट पर नदी का किया अवलोकन
वाराणसी,15 दिसम्बर (Udaipur Kiran) । गंगा के निर्मलीकरण और अविरल प्रवाह को सुनिश्चित करने के लिए उसकी सहायक नदियों को भी स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए नदी विशेषज्ञों के साथ सामाजिक संगठन भी मुखर है। रविवार अपरान्ह में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ताओं,नदी विशेषज्ञों के साथ प्रौद्यौगिकी विशेषज्ञों ने भी कचहरी स्थित शास्त्रीघाट से वरूणा नदी के दुर्दशा का अवलोकन किया। इसके बाद नेपाली कोठी नदेसर स्थित साझा संस्कृति मंच के कार्यालय में नदी की दुर्दशा को दूर करने के लिए मंथन किया।
वक्ताओं ने कहा कि वाराणसी नाम की पहचान देने वाली दोनों नदियों ‘वरुणा’ और ‘असि’ को पुनर्जीवित किए बिना गंगा का निर्मलीकरण संभव नहीं होगा। इन नदियों का जन सहभागिता और प्रशासनिक इच्छा शक्ति से ही पुनरुद्धार संभव होगा । वरुणा नदी पुनरुद्धार संभावनाएं एवं चुनौतियां विषयक बैठक में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी मुम्बई,आईआईटी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय,पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून के वैज्ञानिकों के साथ पर्यावरण के प्रति सचेत नागरिक, पर्यावरण कार्यकर्ता, भू सेवा जल सेवा अभियान के कार्यकर्ता, वरुणा नदी संवाद यात्रा के सदस्य और साझा संस्कृति मंच के सदस्य शामिल रहे ।
वक्ताओं ने एक स्वर से कहा कि वरुणा नदी में गिर रहे मल जल और कचरे को पूरी तरह रोकना, नदी के उद्गम से संगम तक दोनों किनारों पर सघन हरित पट्टी, और शारदा सहायक से अधिक जल की उपलब्धता से नदी को पुनर्जीवित किया जा सकता है । इसके साथ ही नदी किनारे के जल स्रोतों कूप, तालाब , पोखर आदि को पुनर्जीवित करना, वर्षा जल का अधिकतम संचय किया जाना आदि भी आवश्यक होगा। बैठक में आईआईटी मुंबई के प्रो. ओम दामानी, आईआईटी बीएचयू के प्रो. प्रदीप कुमार मिश्र, पीपुल्स साइंस इंस्टीट्यूट देहरादून के प्रो. अनिल गौतम ने सुझाव दिए। बैठक का संचालन वल्लभाचार्य पाण्डेय ने किया।
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(Udaipur Kiran) / श्रीधर त्रिपाठी