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(संशोधित) चीन को शांतिप्रिय तिब्बती लोगों के सम्मान में तिब्बत को कर देना चाहिए आजाद : कुलदीप अग्निहोत्री

राष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेते प्रबुद्धजन

चंडीगढ़, 3 अगस्त (Udaipur Kiran) । भारत-तिब्बत सहयोग मंच के संरक्षक डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने शनिवार को कहा कि चीन को शांतिप्रिय तिब्बती लोगों का सम्मान करते हुए अब तिब्बत को आजाद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि चीन की सरकार तिब्बत के बारे में पूरी दुनिया को जो दिखा रही है वह हकीकत के बिल्कुल उलट है। तिब्बती लोग बढ़ते भय और दमन के बीच जी रहे हैं।

डॉ. अग्निहोत्री ने पानीपत जिले के ग्राम पट्टी कल्याण में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में कहा कि चीन तिब्बत की पहचान को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है। तिब्बती कार्यकर्ता चीन पर धार्मिक स्वतंत्रता से इनकार करने और तिब्बत की सांस्कृतिक विरासत और पहचान को खत्म करने की कोशिश करने का आरोप लगाते रहे हैं। उद्घाटन सत्र में भारत-तिब्बत सहयोग मंच के कार्यकारी अध्यक्ष सरदार हरजीत सिंह ग्रेवाल भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

ग्रेवाल ने कहा कि चीन एक ड्रैगन है और वह पड़ोसी देशों को निगल जाता है। मालद्वीप को चीन निगल रहा है। मालदीव में आज एक भारत विरोधी ताकत सत्ता में आ चुकी है और इसे देखते हुए चीन अपना प्रभाव बढ़ाने में लगा है। हालांकि चीन के साथ जाने में सबसे बड़ा नुकसान मालदीव का है।

राष्ट्रीय मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि चीन भगवान बुद्ध के अनुयायी तिब्बती लोगों की धार्मिक भावनाओं का अनादर करता है। तिब्बत की संस्कृति और धर्म को कुचलने के लिए चीन हर तिकड़म लगा रहा है। चीन तिब्बती आस्था और परंपराओं को खत्म करने के लिए बौद्ध प्रतिमाओं को नष्ट कर रहा है। चीन की ओर से बौद्ध धर्म के प्रति आक्रामक रुख अपनाए जाने के पीछे एक वजह तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा का उत्तराधिकार भी है। चीनी बौद्ध प्रतिमाओं को नष्ट करने का मकसद तिब्बतियों के विश्वास और तिब्बती परंपराओं को संरक्षित करने के उनके अधिकार को खत्म करना है।

संगोष्ठी के दूसरे दिन रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार का संबोधन होगा।

(Udaipur Kiran)

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