नई दिल्ली, 23 जनवरी (Udaipur Kiran) । सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर इलेक्टोरल बांड के रूप में दिए गए चंदे की राजनीतिक दलों से जब्ती की मांग करने वाली याचिका खारिज करने के आदेश पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी, 2024 को इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार दिया था। इसके बाद 21 मार्च, 2024 को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने इलेक्टोरल बांड की पूरी जानकारी उपलब्ध करा दी थी।
वकील खेम सिंह भाटी ने दायर याचिका में कहा है कि इलेक्टोरल बांड योजना के तहत 23 राजनीतिक दलों ने 1210 दानदाताओं से करीब 12,516 करोड़ रुपये का चंदा हासिल किया था। इनमें 21 दानकर्ताओं ने सौ करोड़ रुपये से ज्यादा का चंदा दिया था। याचिका में कहा गया है कि इलेक्टोरल बांड के जरिए चंदा देने वालों ने राजनीतिक दलों से कई काम करवाए। याचिका में पांच राजनीतिक दलों के नाम का उल्लेख किया गया है, जिनमें भाजपा को 5549 करोड़, तृणमूल कांग्रेस को 1592 करोड़, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 1351 करोड़, बीआरएस को 1191 करोड़ और डीएमके को 632 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिले थे। याचिका में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया है कि केंद्र सरकार, निर्वाचन आयोग और सतर्कता आयोग को निर्देश दिया जाए कि राजनीतिक दलों से इलेक्टोरल बांड के जरिए लिए गए चंदे की राशि की वसूली की जाए। याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में एसआईटी का गठन किया जाए।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 2 अगस्त, 2024 को याचिका खारिज कर दी थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता कॉमन कॉज की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि मामलों में सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं, बल्कि प्रमुख जांच एजेंसियां भी शामिल हैं। यह देश के इतिहास के सबसे बुरे वित्तीय घोटालों में से एक है। तब कोर्ट ने कहा था कि हमने इलेक्टोरल बांड स्कीम को रद्द कर दिया था और जानकारी साझा करने को कहा था। अब इस मामले में एसआईटी जांच की मांग क्यों। उन्होंने कहा था कि यह मामला एसआईटी जांच का नहीं है। ऐसे ही किसी भी मामले में एसआईटी जांच के आदेश नहीं दे सकते।
(Udaipur Kiran) /संजय——
(Udaipur Kiran) / सुनीत निगम