नई दिल्ली, 21 अगस्त (Udaipur Kiran) । केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) चेयरमैन रवि अग्रवाल ने बुधवार को कहा कि आयकर अधिनियम, 1961 की समीक्षा का काम छह महीनों की निर्धारित समय-सीमा में पूरा कर लिया जाएगा।
आयकर के 165वें वर्ष पर अपने स्वागत भाषण में सीबीडीटी चेयरमैन रवि अग्रवाल ने यह बात कही। इससे पहले उन्होंने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और सभी विशिष्ट अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने अपने संबोधन में हाल के वर्षों में सीबीडीटी द्वारा की गई प्रगति का अवलोकन किया।
अग्रवाल ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि विभाग प्रधानमंत्री के ‘विकसित भारत’ के सपने को साकार करने के लिए प्रौद्योगिकी-संचालित प्रक्रियाओं का उपयोग करना जारी रखेगा। उन्होंने विभाग के डिजिटल परिवर्तन और गैर-हस्तक्षेप कर प्रशासन पर प्रकाश डाला। अग्रवाल ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष कर संग्रह में 17.7 फीसदी की वृद्धि हासिल हुई है।
सीबीडीटी प्रमुख ने नई कर व्यवस्था की सफलता, कर आधार को व्यापक बनाने, फेसलेस मूल्यांकन व्यवस्था की सफलता और करदाताओं के सरलीकरण और निश्चितता के लिए चल रहे आयकर अधिनियम की व्यापक समीक्षा पर भी जोर दिया। अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने विभाग के कामकाज में विवेकपूर्ण दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने इसकी विस्तृत रूप से व्याख्या की।
-पी:- व्यावसायिकता
-आर:- जिम्मेदारी
-यू:- कानून, व्यापार और अर्थव्यवस्था की समझ
-डी:- डेटा-आधारित निर्णय लेना
-ई:- सहानुभूति के साथ प्रवर्तन
-एन:- गैर-दखलंदाजी कर प्रशासन
-टी:- प्रौद्योगिकी-संचालित करदाता सेवाएं।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने चालू वित्त वर्ष 2024-25 का संसद में पूर्ण बजट पेश करते हुए कहा था कि देश के प्रत्यक्ष कर कानून को सरल बनाने के लिए इसकी समीक्षा की जाएगी। उन्होंने इस काम को छह महीने में पूरा करने की बात कही थी।
(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर / रामानुज