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नई दिल्ली, 04 दिसंबर (Udaipur Kiran) । राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने बुधवार को यहां राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों से कहा कि वे तस्करी गिरोहों के सरगना को पकड़ें, लेकिन वाणिज्यिक धोखाधड़ी के मामलों में बड़े व्यापारियों के खिलाफ नोटिस जारी करने से पहले अर्थव्यवस्था के हित को भी ध्यान में रखें।
संजय मल्होत्रा ने नई दिल्ली में राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के 67वें स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। राजस्व सचिव ने कहा कि विभाग के लिए प्रौद्योगिकी बदलाव के अनुरूप कौशल तथा कार्यबल को उन्नत करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे सरगनाओं एवं आकाओं पर ध्यान केंद्रित करें और तस्करी गिरोहों का भंडाफोड़ करें।
राजस्व सचिव ने अधिकारियों से कहा कि संभावित वाणिज्यिक धोखाधड़ी के मामलों में शामिल व्यापारियों या व्यवसायों के खिलाफ कार्रवाई करते समय ‘‘बेहद सतर्क’’ रहने की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि कुछ वस्तुओं पर समूचे उद्योग में कुछ कर मांगें तथा वर्गीकरण विवाद तकनीकी प्रकृति के हो सकते हैं, जिसके कारण बहुत अधिक डिमांड नोटिस जारी किए जाते हैं।
वहीं, सीबीआईसी के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल ने अपने संबोधन में कहा कि आज के डिजिटल युग में वित्तीय अपराधों की जटिलता कई गुना बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि तस्करों और अपराधियों ने पता लगाने से बचने के लिए तकनीक का लाभ उठाते हुए परिष्कृत तरीके अपनाए हैं। डीआरआई ने इन खतरों का मुकाबला करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक जैसे क्षेत्रों में कौशल वृद्धि और अत्याधुनिक उपकरणों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए तेजी से अनुकूलन किया है।
इससे पहले राजस्व सचिव संजय मल्होत्रा ने केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष संजय कुमार अग्रवाल के साथ मिलकर “भारत में तस्करी रिपोर्ट 2023-24” और अप्रैल से 24 सितंबर तक के डीआरआई बुलेटिन का अनावरण किया है, जिसमें संगठित तस्करी के रुझान, वाणिज्यिक धोखाधड़ी और अंतरराष्ट्रीय प्रवर्तन संचालन और सहयोग का विश्लेषण किया गया है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के तहत राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) देश में तस्करी विरोधी क्षेत्र में भारतीय सीमा शुल्क की शीर्ष एजेंसी है। वित्त वर्ष 2023-24 में माल के गलत वर्गीकरण तथा गलत घोषणा के जरिए 10 हजार करोड़ रुपये मूल्य की शुल्क चोरी का पता लगा था।
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(Udaipur Kiran) / प्रजेश शंकर
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