
प्रदेश के 18 मंडलों में सबसे अधिक आगरा मंडल ने निस्तारित किये 3,381 मामले
लखनऊ, 11 अप्रैल (Udaipur Kiran) । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सख्त मॉनीटरिंग और दूरदर्शी सोच से प्रदेश में दर्ज होने वाले राजस्व संबंधी मामलों में गिरावट दर्ज की गयी है जबकि इन मामलों के निपटारे में उल्लेखनीय प्रगति देखी गयी है। इससे जहां एक ओर प्रदेश के अन्नदाताओं को त्वरित न्याय और राहत मिल रही है, वहीं दूसरी ओर प्रशासन में पारदर्शिता बढ़ी है। प्रदेश में राजस्व संबंधी मामलों के निस्तारण में यही रफ्तार रही, तो प्रदेश के अन्नदाताओं समेत आमजन बड़ी राहत मिलेगी और उत्तर प्रदेश सशक्त प्रदेश बनकर उभरेगा।
राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2023-24 की तुलना में 2024-25 में प्रदेशभर के सभी मंडलीय न्यायालयों में राजस्व संबंधी विचाराधीन वादाें की संख्या में गिरावट देखी गई है। 1 अप्रैल 2024 तक मंडलीय न्यायालयों में जहां कुल 1,29,296 वाद विचाराधीन थे, वहीं 1 अप्रैल 2025 तक यह संख्या घटकर 1,15,319 पर आ गई। यह आकंड़ा दर्शाता है कि प्रदेश में पिछले एक वर्ष में 13,977 राजस्व संबंधी विचाराधीन मामले कम हुए हैं। वहीं 3 वर्ष से अधिक 5 वर्ष से कम अवधि के लंबित वादों की संख्या जहां वर्ष-24 में 13,797 थी, वहीं यह संख्या घटकर अप्रैल-25 में 8,832 हो गयी है। इसी तरह 5 वर्ष से अधिक अवधि के लंबित वादों की संख्या वर्ष-24 में 70,336 थी, जो घटकर अप्रैल-25 में 51,473 हो गयी है। यह योगी सरकार की पारदर्शिता और योजनाओं को ही असर है कि प्रदेश में लगातार राजस्व संबंधी वादों में कमी आ रही है।
प्रदेश के 18 मंडलों में से आगरा मंडल ने सबसे अधिक 3,381 मामलों का निस्तारण किया, जो कि प्रदेश में सर्वाधिक है। इसके बाद गोरखपुर मंडल ने 3,222 मामलों और वाराणसी मंडल ने 2,897 मामलों का समाधान किया। ये आंकड़े दर्शाते हैं कि सरकार की प्राथमिकता सूची में किसान सबसे ऊपर हैं और उन्हें त्वरित न्याय मिलना सुनिश्चित किया जा रहा है। अागरा मंडल में जहां पिछले वर्ष 10,335 मामले लंबित थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 6,954 रह गई है। गोरखपुर मंडल में भी 14,002 मामलों से गिरकर संख्या 10,780 तक पहुंच गई है। वाराणसी में 17,106 मामलों से संख्या घटकर 14,209 रह गई है। यह अपने आप में एक मिसाल है कि किस तरह प्रशासन ने समयबद्ध कार्रवाई कर किसानों के साथ आमजन मानस को राहत दी है।
बता दें कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसी भी हाल में भूमि से जुड़े मामलों को अनदेखा न किया जाए। उन्होंने जिलाधिकारी और राजस्व विभाग के अधिकारियों को नियमित रूप से लंबित वादों की समीक्षा करने और समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने के आदेश दिए थे। इसके साथ ही सभी कार्यों की ऑनलाइन निगरानी से प्रक्रिया में पारदर्शिता बनी, जिससे किसानों को यह विश्वास मिला कि उन्हें न्याय अवश्य मिलेगा। योगी सरकार के इन प्रयासों से किसानों को अपनी भूमि पर स्वामित्व सुनिश्चित हुआ है। वर्षों से चल रहे विवाद समाप्त हुए हैं, जिससे न केवल समय और धन की बचत हुई बल्कि सामाजिक तनाव भी कम हुआ। भूमि विवादों के शीघ्र समाधान ने निवेश की संभावनाओं को भी बल दिया है क्योंकि भूमि की वैधता अब शीघ्रता से तय की जा रही है।
(Udaipur Kiran) / मोहित वर्मा
