Uttrakhand

तंत्र की साधना में संयम बड़ा माध्यम: रविन्द्र पुरी

सम्मेलन में उपस्थित रविन्द्रपुरी महाराज व करौली शकर महाराज

हरिद्वार, 19 अक्टूबर (Udaipur Kiran) । श्री करौली शंकर महादेव धाम में त्रिदिवसीय महा सम्मेलन एवं दीक्षा कार्यक्रम का आयाेजन हुआ, जिसमें दीक्षा ग्रहण करने के लिए देश-विदेश से भक्त पहुंचे।

इस सम्मेलन के मुख्य अतिथि, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के श्रीमहंत रवींद्र पुरी महाराज ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि तंत्र की साधना केवल संयम के माध्यम से ही की जा सकती है। संयम ही एक ऐसा माध्यम है जो हमें ज्ञान को उपलब्ध कराता है, इसलिए हमें दृष्टा भाव से अपने जीवन में हर उतार-चढ़ाव देखना चाहिए।

उन्होंने कहा कि साधक की सबसे बड़ी पूंजी उसका चरित्र है। बिना चरित्र निर्माण, बिना संयम के ज्ञान को उपलब्ध हो पाना संभव नहीं है। इसलिए तंत्र की साधना में प्रत्येक क्षण परीक्षा है और इस परीक्षा में पास होने के लिए व्यवस्था को समझना आवश्यक है। व्यवस्था को समझ कर, फिर व्यवस्था में जीना अपने आप हो जाता है, जिसे आचरण कहते हैं और यह आचरण ही सब में आगे की परंपरा में फैलता है।

इसके पश्चात श्री करौली शंकर महादेव महाराज ने मंत्र दीक्षित और तंत्र दीक्षित भक्तों को ध्यान साधना करने का अभ्यास कराते हुए प्रभु से जुड़ाव की अनुभूति कराई। इस अवसर पर भक्तों के जयघोष से पंडाल गंजायमान हो उठा।

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(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला

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