
सरायकेला, 7 जून (Udaipur Kiran) । राजनगर प्रखंड के हेरमा पंचायत अंतर्गत धोलाडीह गांव में ईचा-खरकई डैम निर्माण के खिलाफ कोल्हान ईचा-खरकई बांध विरोधी संघ की ओर से शनिवार को बैठक आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता धोलाडीह के ग्रामीण मुंडा सीदीऊ पड़ेया ने की। इसमें हाथीसेरेंग, यादूडीह और दीरिबाण्डी सहित कई गांवों के ग्रामीण शामिल हुए।
संघ के उपाध्यक्ष रेयांश सामड ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाते हुए कहा कि ईचा डैम के पुनर्निर्माण का फैसला सरकार ने केवल उद्योगपतियों के हितों को ध्यान में रखकर लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि डैम से सबसे अधिक फायदा रुंगटा और टाटा जैसी कंपनियों को होगा और इन्हीं कंपनियों ने सरकार को आर्थिक लाभ पहुंचाया है।
हेमंत सोरेन ने दिया धोखा
रेयांश सामड ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अपने संघर्ष यात्रा के दौरान सोसोहातु में कहा था कि सीने पर गोली खा लेंगे लेकिन डैम नहीं बनने देंगे। अब वे सत्ता में आकर आदिवासियों की ज़मीन और अस्तित्व पर हमला कर रहे हैं।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अबुआ दिसुम अबुआ राज का नारा देने वाली सरकार अब बिहार के पंकज चौरसिया को मंझारी प्रखंड में गांव-गांव, घर-घर नंबर प्लेट लगाने का टेंडर दे रही है। क्या राज्य के आदिवासी और मूलवासी इतने अयोग्य हैं कि उन्हें यह जिम्मेदारी नहीं दी जा सकती थी।
वरिष्ठ आंदोलनकारी मरकांडों बारी ने कहा कि शहीद गंगाराम कालुंडिया की तरह हमें एकजुट होकर फिर से आंदोलन खड़ा करना होगा। जब तक हमारे प्रतिनिधि हमारे वोट की ताकत नहीं समझेंगे, तब तक यह विनाशकारी परियोजना नहीं रुकेगी।
सभा को कोषाध्यक्ष गुलिया कालुंडिया, सह सचिव बिरसा गोडसोरा, मीडिया सचिव रॉबिन आलडा, कृष्णा बानरा, सिंगराय जामुदा, मार्शल गोडसोरा सहित कई वक्ताओं ने संबोधित किया। सभी ने एक स्वर में ईचा डैम परियोजना को वापस लेने की मांग की और आंदोलन को तेज करने का संकल्प लिया।
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(Udaipur Kiran) / Vinod Pathak
